इस साल नोबेल पीस प्राइज (नोबेल शांति पुरस्कार 2022) एक व्यक्ति और दो संगठनों को दिया गया है। बेलारूस के ह्यूमन राइट्स एडवोकेट आलिस बिलिआत्स्के को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में इस पुरस्कार का ऐलान किया गया।
आलिस के अलावा रशियन ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल और यूक्रेनियन ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को दिया गया है। ये दोनों ही संस्थान मानवाधिकार के लिए काम करते हैं।
आलिस ने 1980 में बेलारूस की तानाशाही के खिलाफ डेमोक्रेसी मूवमेंट का आगाज किया। वो आज तक अपने ही देश में सच्चा लोकतंत्र बहाल करने की जंग लड़ रहे हैं। रूस-यूक्रेन जंग में बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको व्लादिमिर पुतिन के साथ खड़े हैं। आलिस ने विसाना नाम का संगठन तैयार किया। यह ऑर्गनाइजेशन जेल में बंद लोकतंत्र समर्थकों को कानूनी मदद मुहैया कराता है।
2011 से 2014 तक आलिस जेल में रहे। 2020 में उन्हें फिर अरेस्ट कर लिया गया और अब तक जेल में हैं।
रूस का ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन मेमोरियल : 1987 में बना। उस दौर में सोवियत संघ था। इसके फाउंडर मेंबर्स में नोबेल पीस प्राइज विजेता एंद्रेई सखारोव औ्र ह्यूमन राइट्स एडवोकेट स्वेतलाना गनुशकिना भी थे।
सोवियत संघ के 15 हिस्सों में बिखरने के बाद यह रूस का सबसे बड़ा मानवाधिकार संगठन बना। इसने स्टालिन के दौर से अब तक पॉलिटिकल प्रिजनर या राजनैतिक कैदियों के लिए आवाज उठाई। रूस ने जब चेचेन्या पर हमला किया और 2009 में इस संगठन की नतालिया एस्तेमिरोवा मारी गईं तो इस संगठन ने विश्व स्तर पर आवाज उठाई। रूसी सरकार इसे विदेशी जासूसों का संगठन बताती है।
सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज : यूक्रेन की राजधानी कीव में 2007 में बना। मकसद यूक्रेन में लोकतंत्र को मजबूत करना था। इस संगठन का कहना है कि यूक्रेन में अब भी सही मायनों में लोकतंत्र मौजूद नहीं है। इस ऑर्गनाइजेशन की मांग है कि यूक्रेन को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का हिस्सा बनना चाहिए।
इसी साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो इस संगठन वॉर क्राइम के मामलों की जांच की। अब यह मामले इंटरनेशनल कोर्ट में दायर किए जा रहे हैं।
नोबेल वीक 3 अक्टूबर को शुरू हुआ और 10 अक्टूबर तक चलेगा। 7 दिन में कुल 6 प्राइज अनाउंस होते हैं। सबसे आखिर में इकोनॉमिक्स कैटेगरी का नोबेल अनाउंस किया जाता। इस सप्ताह सिर्फ पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति या संस्थान के नामों का ऐलान होगा। दिसंबर में इन्हें प्राइज दिए जाएंगे।
कोविड की वजह से 2020-21 के विजेता स्टॉकहोम नहीं पहुंच पाए थे। कमेटी ने इस बार इन दो साल के विजेताओं को भी स्टॉकहोम इनवाइट किया है