पहली बार देश में निजी स्पेस कंपनी का रॉकेट लॉन्च किया जाने वाला है. लॉन्चिंग ISRO के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से होगी. इस रॉकेट को बनाया है हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) कंपनी ने. कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक पवन कुमार चांदना ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि यह एक टेस्ट फ्लाइट है. इसरो ने उड़ान के लिए 12 से 16 नवंबर 2022 के बीच का लॉन्च विंडो तय किया है.
पवन ने बताया कि मौसम के अनुसार इनमें से किसी एक तारीख पर रॉकेट की लॉन्चिंग होगी. रॉकेट का नाम विक्रम-एस (Vikram-S) है. जिसका नाम मशहूर भारतीय वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर दिया गया है. इस लॉन्च को मिशन प्रारंभ (Mission Prarambh) नाम दिया गया है. इसरो चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने स्काईरूट कंपनी के मिशन प्रारंभ के मिशन पैच का अनावरण भी किया.
पवन ने बताया कि विक्रम-एस एक सब-ऑर्बिटल उड़ान भरेगा. स्काईरूट देश की पहली निजी स्पेस कंपनी होगी जो यह बड़ा काम करने जा रही है. इस लॉन्च के लिए स्काईरूट और इसरो के बीच समझौता हुआ है. स्काईरूट के सीओओ और सह-संस्थापक नागा भरत डाका ने बताया कि विक्रम-एस रॉकेट सिंगल स्टेज का सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है. जो अपने साथ तीन कॉमर्शियल पेलोड्स लेकर जा रहा है. यह एक तरह का परीक्षण है. अगर इसमें सफलता मिलती है तो भारत निजी स्पेस कंपनी के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा.
पिछले साल किया था थ्रीडी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण
स्काईरूट एयरोस्पेस ने 25 नवंबर 2021 को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में अपने पहले थ्रीडी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन (First 3D Printed Cryogenic Engine) का सफल परीक्षण किया. इस रॉकेट से छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
30-40 फीसदी सस्ती हो जाएगी रॉकेट की लॉन्चिंग
स्काईरूट एयरोस्पेस के बिजनेस डेवलपमेंट प्रमुख शिरीष पल्लीकोंडा ने बताया कि थ्रीडी क्रायोजेनिक इंजन आम क्रायोजेनिक इंजन की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद है. साथ ही यह 30 से 40 फीसदी सस्ता भी है. हम इसका उपयोग अपने लॉन्च व्हीकल विक्रम-2 और 3 में उपयोग करेंगे. हमारे पास तीन तरह के रॉकेट हैं. विक्रम-1, 2 और 3. सस्ती लॉन्चिंग की वजह इसके ईंधन में बदलाव भी है. हम आम ईंधन के बजाय LNG यानी लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन (LoX) की मदद से रॉकेट को लॉन्च करेंगे. जो किफायती भी होगा और प्रदूषण मुक्त भी. इस क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग करने वाली टीम का नाम लिक्विड टीम (Liquid Team) है. इसमें करीब 15 युवा वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
ये है विक्रम रॉकेट की सीरीज, जो भविष्य में लॉन्च किए जाएंगे. (फोटोः स्काईरूट एयरोस्पेस)
जानिए… स्काईरूट एयरोस्पेस के विक्रम रॉकेट को
विक्रम-1 रॉकेट 225 KG वजन के पेलोड को 500 KM ऊंचाई वाले SSPO या 315 KG वजन के पेलोड को 500 KM की लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करेगा. यह रॉकेट 24 घंटे में ही बनकर तैयार हो जाएगा और लॉन्च भी किया जा सकेगा. विक्रम-2 रॉकेट 410 किलो वजन के पेलोड को 500 किमी के SSPO और 520 किलोके पेलोड को 500 किमी के लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इसके ऊपरी हिस्से में क्रायोजेनिक इंजन लगेगा. विक्रम-3 रॉकेट 580 किलो के पेलोड को 500 किमी के SSPO और 730 किलो के पेलोड को 500 किमी के लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इन दोनों ही रॉकेटों को 72 घंटे में बनाकर लॉन्च किया जा सकेगा.