भारतीय नौसेना में इंसानों को लेकर उड़ने वाला ड्रोन शामिल होने जा रहा है। इस ड्रोन का नाम वरुण रखा गया है। ये 100 किलोग्राम के वजन के साथ उड़ान भर सकता है। 25 से 30 किमी. का सफर 30 मिनट में पूरा कर लेगा।
भारतीय नौसेना ने अपने बयान में बताया कि इस ड्रोन को पुणे में स्थित भारतीय स्टार्टअप सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। इसे जल्द ही नौसेना में शामिल किया जाएगा।
तकनीकी खराबी में पैराशूट के जरिए सुरक्षित लैंडिंग
कंपनी के को-फाउंडर बब्बर ने बताया कि ड्रोन हवा में तकनीकी खराबी के बाद भी सुरक्षित लैंडिंग करने में सक्षम है। इसमें एक पैराशूट भी है, जो इमरजेंसी या खराबी के दौरान अपने आप खुल जाएगा और ड्रोन सुरक्षित लैंड हो जाएगा। इसके साथ ही वरुण का इस्तेमाल एयर एंबुलेंस और दूर के इलाकों में सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जा सकता है।
जुलाई में किया गया था ड्रोन का परीक्षण
ड्रोन का प्रदर्शन जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने किया गया था, यहां उनके साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सोशल मीडिया अकाउंट पर इसका वीडियो भी शेयर किया गया था।
निगरानी और सुरक्षा होगी मजबूत
रिपोर्ट के अनुसार, इससे देश की निगरानी और सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है। इसके अलावा इसका उपयोग राहत और मेडिकल इमरजेंसी में भी किया जा सकता है।
ड्रोन का उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
देश में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए बनी नॉन प्रोफिटेबल ऑर्गेनाइजेरशन ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर स्मित शाह के अनुसार ड्रोन के मुख्यत: तीन उपयोग होते हैं, सर्वे, निरीक्षण और डिलीवरी।
एरियल सर्वेक्षण के अलावा, पाइपलाइन, विंडमिल इत्यादि के निरीक्षण, डिफेंस के लिए और दूर दराज के इलाकों में दवाएं और जरूरी सामग्री पहुंचाने में ड्रोन काम आते हैं। इसके अलावा एरियल फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी में भी काम आते हैं। यही नहीं एयर टैक्सी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल संभव है।
2026 तक यह 50,000 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच सकती है ड्रोन इंडस्ट्री
स्मित शाह ने कुछ महीने पहले बताया था कि फिलहाल ड्रोन इंडस्ट्री 5,000 करोड़ की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 सालों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी, लेकिन हमारा अनुमान है कि 2026 तक यह 50,000 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच सकती है।
भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए गाइडलाइन
भारत सरकार ने ड्रोन के वजन के आधार पर उन्हें 5 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है। इनके लिए अलग-अलग गाइडलाइन हैं