ताइवान अपनी सीमा में चीन की बढ़ रही घुसपैठ को लेकर सख्त रुख अपनाता नजर आ रहा है। ताइवान के डिफेंस मिनिस्टर चिउ कुओ-चेंग ने अपने देश की सीमा पर चीनी ड्रोन्स और फाइटर जेट्स की एंट्री पर जवाबी कार्रवाई करने की बात कही है।
बुधवार को हुई नेशनल डिफेंस कमेटी की मीटिंग में चेंग ने कहा – चीन के ड्रोन या फाइटर एयरक्राफ्ट हमारी सीमा में आते हैं तो इसे हमला माना जाएगा। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि वो किस तरह चीन के इस हमले का जवाब देंगे। उनके मुताबिक, जवाबी कार्रवाई जरूर की जाएगी।
ताइवान ने बदली नीति
ताइवान ने पहले तय किया था कि जब तक चीन की ओर से पहला हमला नहीं होगा, वो एक्शन नहीं लेंगे। लेकिन, नीति में बदलाव आया है। अब चीन के ड्रोन्स या एयरक्राफ्ट ताइवान एयरस्पेस की सीमा में आते हैं तो इसे एयर स्ट्राइक मानते हुए जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
ताइवान की प्रेसिडेंट साई इंग वेन ने भी इस साल की शुरुआत में चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की बात कही थी। वेन ने कहा था, हम लड़ाई या विवाद करने के पक्ष में नहीं। लेकिन चीन की ओर से हमला हुआ तो हम जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हैं।
ताइवान को अपनी सीमा में मिलाना चाहता है चीन
ताइवान चीन के समुद्री किनारे से 177 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। पिछले 70 सालों से दोनों जगह स्वतंत्र शासन है। बावजूद इसके चीन इस द्वीप को अपना हिस्सा बनाना चाहता है। चीन के प्रेसिडेंट कह चुके हैं कि ताइवान को फिर से चीन में मिलाना उनके लिए जरूरी है।
चीन के सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के डिप्टी डायरेक्ट भी ने भी कहा था कि वो जोर लगाकर या सैन्य दबाव बनाकर ताइवान को चीन में शामिल नहीं कराना चाहते। लेकिन उनका फोकस एक ऐसी सेना तैयार करने में है जो 2027 तक ताइवान को चीन की सीमा में शामिल करने में सक्षम हो।
पिछले कुछ सालों में दोनों के बीच तनाव बढ़ा
चीन और ताइवान के बीच पिछले एक दशक में तनाव बढ़ा है। इस साल 2 अगस्त को US संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान विजिट पर आई्ं थीं। इसके बाद चीन ने ताइवान सीमा के पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। इस अभ्यास के दौरान चीन के 22 फाइटर और 4 युद्धपोत ताइवान की सीमा में दाखिल हो गए थे। इनमें सुखोई SU-30, शेनयांग J-11, शेनयांग J-16 जैसे जेट लड़ाकू विमान शामिल थे। इसके बाद दोनों देश पूरी तरह से आमने-सामने हो गए।
ताइवान को अमेरिका पर भरोसा
US ने मुसीबत पड़ने पर ताइवान को मदद को भरोसा दिलाया है। फिलहाल, वो ताइवान को बड़े पैमाने में हथियार दे रहा है। US प्रेसिडेंट जो बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि अगर युद्ध होता है तो अमेरिकी सेना ताइवान के साथ खड़े रहेगी। US इंटेलिजेंस के मुताबिक, ताइवान पर कब्जा जमाने के लिए चीन ने आर्मी तैयार करनी शुरू कर दी है। वो ताइवान को अपने वन चाइना पॉलिसी का हिस्सा मानता है। हालांकि,उसने कभी इस बात को खुले तौर पर नहीं स्वीकारा।