भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान समेत कई देशों के साथ युद्धाभ्यास करने का फैसला लिया है। खासतौर पर अमेरिका के साथ चीन से सटी वास्तविक सीमा रेखा यानी एलएसी के पास युद्धाभ्यास करने की तैयारी है। इससे चीन को मिर्ची लग सकती है, जो भारत के जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ गहरे रिश्तों से अकसर तनाव में दिखता है। भारत के इस कदम को चीन के विस्तारवादी रवैये का एक जवाब माना जा सकता है। इस साल के अंत तक भारत की ओर से जापान के साथ नेवी युद्धाभ्यास करेगी। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के साथ इन्फैन्ट्री एक्सरसाइज भी होनी है। वहीं तीन अन्य आसियान देशों के साथ भी युद्धाभ्यास की तैयारी है।
सबसे पहले जापान के योकोसुका में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत की सेनाएं युद्ध अभ्यास करेंगी। इस युद्धाभ्यास में वॉरशिप, पनडुब्बी, फाइटर जेट, एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर भी शामिल होंगे। इसकी शुरुआत 8 नवंबर से होगी और अगले 10 दिनों तक यानी 18 नवंबर तक यह चलेगा। इस तरह मालाबार युद्धाभ्यास के जरिए चारों देश चीन को एक बड़ा संदेश देंगे। चारों देश पहले भी कई बार संदेश दे चुके हैं कि इंडो-पैसिफिक में किसी की भी विस्तारवादी नीति को स्वीकार नहीं किया जाएगा। साफ है कि चीन को लेकर क्वाड देशों की नीति सख्त है।
क्यों QUAD और AUCKUS से चिढ़ता है चीन
बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी की ओर से कहा गया था कि चीन ही इंटरनेशनल ऑर्डर में उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। अमेरिका ने कहा था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका का रक्षा साझेदार है। अमेरिका और भारत मिलकर काम करेंगे और इंडो पैसिफिक क्षेत्र में पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ेंगे। बता दें कि चीन की ओर से ऑकस यानी ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूके के संगठन को एक चुनौती समझा जाता रहा है। वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत को मिलाकर बने क्वाड को लेकर भी चीन कई बार ऐतराज जता चुका है।
हिमाचल में भी अमेरिका और भारत ने किया था युद्धाभ्या, अब उत्तराखंड में
जापान में बड़े अभ्यास के बाद भारत और अमेरिका की सेनाएं एलएसी पर भी गरजने वाली हैं। 15 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच अमेरिका और भारत की सेनाएं उत्तराखंड के ऑली में युद्धाभ्यास करेंगी। यह इलाका चीन की सीमा से 100 किलोमीटर की ही दूरी पर है। बता दें कि अगस्त में ही भारत और अमेरिकी की एलीट फोर्सज ने हिमाचल प्रदेश के बकलोह में वज्र प्रहार नाम से युद्धाभ्यास किया था।