ताजा प्रशासनिक फेरबदल में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2014 बैच तक के अफसरों को कलेक्टरी मिल गई है लेकिन इस बैच और इसके पहले के बैचों के कई अफसर ऐसे है जो मध्यप्रदेश कॉडर के आईएएस बनने के बाद भी अब तक कलेक्टरी से वंचित रहे है। उन्हें जिलों में जाकर अपने हुनर और कार्यकौशल को दिखाने का मौका नहीं मिल पा रहा है
मध्यप्रदेश में सीधी भर्ती से आए आईएएस तो कलेक्टर बन जाते है लेकिन प्रमोटी आईएएस अफसरों को इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है और कई अफसर तो बिना कलेक्टर बने ही रिटायर हो जाते है। यदि मध्यप्रदेश कॉडर के मौजूदा आईएएस अफसरों की बात करें तो आईएएस बनने के बाद भी दो दर्जन से अधिक अफसर अब तक कलेक्टर नहीं बन पाए है।
इनमें 2008 बैच से लेकर 2014 बैच तक के आईएएस अफसर है। 2008 बैच की उर्मिला शुक्ला को अभी तक किसी भी जिले की कलेक्टरी नहीं मिल पाई है। 2011 बैच की सरिता बाला प्रजापति, के अलावा 2011 और 2012 बैच के भारती ओगरे, राजेश ओगरे, विनय निगम, हरिसिंह मीणा, विवेक श्रोत्रिय, गिरीश शर्मा भी अब तक कलेक्टर नहीं बन पाए है।
2013 बैच के पवन जैन, रुही खान, किशोर कान्याल, नीरज वशिष्ठ, मनीषा सेतिया, अमर बहादुर सिंह, मीनाक्षी सिंह, अजय श्रीवास्तव और 2014 बैच के बुद्धेश वैद्य, दिलीप कापसे को अब तक कलेक्टर बनने का मौका नहंी मिल पाया है। हाल ही में जो प्रशासनिक सर्जरी हुई है
उसमें वर्ष 2014 बैच तक के अफसरों को कलेक्टर बनाया जा चुका है लेकिन इसमें भी कई अफसरों को कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिल पाया है और उनके नीचे के अफसर कलेक्टर बन गए है। इसके अलावा पंचायत राज के संचालक अमरपाल सिंह अब तक कलेक्टर नहीं बन पाए हैं।