पन्ना (मध्यप्रदेश)। “खेत में लगे कीटों से परेशान मत होइये, वे तो मकड़ी के बच्चों के लिए प्रकृति का भेजा उपहार हैं। मकड़ियां मांसाहारी होती हैं वो फसल खाएंगी नहीं बल्कि फसल खाने वाले कीटों को खाकर जैव विविधता को संतुलित करेंगी।” पद्मश्री बाबूलाल दहिया ने कहा। जैविक खेती को बढ़ावा देने और जैव विविधता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषक बाबूलाल दहिया ने कहा फसलों में अंधाधुंध कीटनाशक का उपयोग से न सिर्फ प्रकृति की भोजन श्रृंखला बाधित हो रही है बल्कि मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। दहिया धान और दूसरी फसलों में कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के अति इस्तेमाल को लेकर गांव कनेक्शन से चर्चा कर रहे थे। दहिया के मुताबिक जब से कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल बढ़ा है एक तरह के कीड़े खत्म हो गए हैं जबकि दूसरी तरह की कीड़ों की संख्या बढ़ गई है, जबकि मनुष्य अगर दखंलदांजी न करें तो प्रकृति खुद से ये संख्या संतुलित रखती है।