चुनाव तो चुनाव है,पिछली बार काफी कम वोटों से हिमाचल प्रदेश में डलहौजी सीट जीतने वाली बहन आशा कुमारी के लिए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ मंत्री टीएस बाबा ने मोर्चा संभाल लिया है,रिश्ते में वे भाई लगते हैं। वैसे आशाकुमारी कांग्रेस की राजनीति में काफी कद्दावर नेता मानी जाती हैं,इसलिए कि छह बार वे विधायक चुनी जा चुकी हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में आशा कुमारी को भाजपा के डीएस ठाकुर ने कड़ी टक्कर दी थी। पिछले चुनाव में हार-जीत का अंतर केवल 556 वोट का था। इस बार भी आशा कुमारी के सामने भाजपा के डीएस ठाकुर को ही टिकट मिला है। आम अदमी पार्टी भी यहां मामले को त्रिकोणीय करने की कोशिश में है। ऐसे में सिंहदेव ने बहन के लिए अपनी ताकत झोंक दी है। चंबा जिले की डलहौजी सीट के वोटरों का रूख अब चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
जैसे कि मालूम हो सरगुजा राजपरिवार की आशा कुमारी की शादी 1979 में हिमाचल प्रदेश में चंबा रियासत के राजकुमार बृजेंद्र कुमार से हुई थी।आशा कुमारी ने चंबा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1985 में पहली बार भाजपा के ज्ञान धवन को मात दी थी। 1990 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन इसके बाद 1993, 1998 और 2003 के चुनाव में उन्होंने लगातार जीत हासिल की। 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में वे हार गई थीं। 2012 और 2017 के चुनाव में उन्होंने लगातार जीत हासिल की। आशा कुमारी छह बार विधायक रह चुकी हैं। तीन बार तो वे डलहौजी की ही प्रतिनिधि रही हैं। प्रदेश कांग्रेस में उनकी बेहद मजबूत पकड़ है।
हिमाचल प्रदेश में 12 नवम्बर को मतदान होना है। ऐसे में मतदान से 24 घंटे पहले तक सभी बाहरी नेताओं को हिमाचल प्रदेश छोडऩा होगा। तभी सिंहदेव की हिमाचल से वापसी होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी 7 नवम्बर तक हिमाचल प्रदेश में ही हैं। वे कांग्रेस के मुख्य चुनाव आब्जर्वर हैं. कांग्रेस के और भी नेता हिमाचल प्रदेश की अलग अलग सीटों पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।