सूखे और किसान आत्महत्या के लिए कुख्यात महाराष्ट्र का मराड़वाड़ा इस बार भारी बारिश और बाढ़ से पानी-पानी हो गया है। मराठवाड़ा में अतिवृष्टि और बाढ़ के चलते सोयाबीन, कपास और तुअर समेत खरीफ सीजन की करीब 30 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है। पूरे मानसून सीजन में देश में इस बार सबसे ज्यादा बारिश मराठवाड़ा में हुई है। 27-28 सितंबर को चक्रवाती तूफान गुलाब (Cyclone Gulab) के चलते आया सैलाब इतना तेज था लातूर जिले के देवला गांव में किसान रामबाबा साहेब अपने खेत में सोयाबीन काट रहे थे, बाढ़ में वो बह गए। वो अपने घर के अकेले कमाने वाले थे। वहीं लातूर जिले में ही पोहरे गांव में किसान सदानंद शिंदे का एक मजदूर पत्नी और बेटा 36 घंटे तक खेत में फंसे रहे, टीन की शेड पर इस परिवार को एनडीआरएफ के हेलीकॉप्टर ने 29 तारीख की सुबह रेस्क्यू किया। सितंबर महीने की अतिवृष्टि (heavy rainfall) से महाराष्ट्र के जिन 8 जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ उसमें उस्मानाबाद भी है। उस्मानाबाद (Usmanabad) में उमरगा तालुका के किसान अशोक पवार कहते है, “पूरा सितंबर महीना बारिश हुई है। फसलें तो पहले ही खराब होने लगी थी, 24-25 सितंबर से खेतों में पानी भरना शुरु हो गया था लेकिन 27-28 सितंबर को आई बाढ़ में सोयबीन, तुअर सब बर्बाद हो गया। 60 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ होगा।” उस्मानाबाद के पडोसी जिले लातूर में भी बाढ़ और बारिश ने तबाही मचाई है। लातूर में निलंगा तालुका में उस्तरी गांव के किसान महारुद्ध शेट्टी के पास 8 एकड़ सोयाबीन थी उनके मुताबिक 95 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ है। ज्यादातर सोयबीन लगातार बारिश के चलते खेत में ही अंकुरित हो गई है। तो कपास की बोडें काले होकर गिर गए।