भोपाल
कलयुग में बच्चों के किए गए गलत कामों की सजा अक्सर मां-बाप भुगतते हैं, लेकिन एमपी में 152 बच्चे अपनी मां के किए गए अपराध की सजा अपना बचपन काल कोठरी में गुजार कर भुगत रहे हैं. इसकी मुख्य वजह है कि पांच साल तक की उम्र के बच्चों को अपराधी मां के साथ रखने का नियम है. हालांकि, जेल विभाग और सरकार इसे मजबूरी बता रही है.
मध्य प्रदेश की जेलों में बंद विभिन्न प्रकार के अपराध की सजा काट रही महिलाओं के साथ बच्चों को भी इसी परिवेश में रहकर मजबूरी वश अपना बचपन बिताना पड़ रहा हैं. हालांकि, प्रदेश की कई जेलों में तो एक से अधिक बच्चे हैं, लेकिन जिन जेलों में एक-एक बच्चें है वहां बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं.
पांच साल तक मां के साथ
दरअसल, मध्य प्रदेश में 132 जेल है और इन जेलों में से अधिकांश में बच्चे अपनी मां के साथ हैं. शासन के नियम अनुसार पांच साल तक के बच्चों को जेल में मां के साथ रहने का प्रावधान है. बहुत जरूरी होने पर ही एक साल और (छह वर्ष की उम्र तक) की अवधि बढ़ाई जा सकती है. इसके बाद बच्चे को बाल कल्याण गृह में भेज दिया जाता है. जहां बच्चों का सभी खर्च शासन स्तर से वहन होता है.
सबसे अधिक बच्चे भोपाल जेल में
मध्य प्रदेश में जेलों की संख्या टोटाल 132 है. इनमें से कई जेलों में सजा भुगत रही मां अपराधी के साथ बच्चे भी है. केन्द्रीय जेल की बात करें तो इनमें सबसे अधिक राजधानी भोपाल की जेल में 19 बच्चे है. वहीं इंदौर जेल में 11, ग्वालियर में 10, जबलपुर में 02, रीवा 08, सतना 04, उज्जैन 08, सागर 06, नरसिंहपुर 06, बढ़वानी 02, होशंगाबाद खण्ड अ 05 बच्चे मौजूद हैं. जबकि जिला जेल में अलीराजपुर 01, खण्डवा 06, छतरपुर 02, छिंदवाड़ा 05, झाबुआ 00, टीकमगढ़ 02, दतिया 01, दमोह 02, बैतूल 00, राजगढ़ 03, शहडोल 03, रतलाम 02, शाजापुर 00 बच्चे मौजूद हैं.
इसके साथ ही धार में 09, सिवनी 00, सीधी 01, मंदसौर 03, मुरैना 00, बालाघाट 00, गुना 00, शिवपुरी 03, सीहोर 01, देवास 02, भिण्ड 00, पन्ना 00, विदिशा 01, खरगोन 03, रायसेन 02, मण्डला 01, कटनी 01, नीमच 01, अशोकनगर 08, श्यापुरकला 00, बैढन 04, उमरिया 00, हरदा 00, डिण्डौरी 00, आगर 00, अनूपपुर 03, सब जेल हटा 01. इस तरह प्रदेश की जेलों में 152 बच्चे अपनी मां के साथ बच्चे मौजूद हैं.
क्षमता से अधिक बंदी
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कुल जेलों की संख्या 132 है. इन जेलों में आवास क्षमता 29 हजार 675 है और कुल बंदियों की संख्या 47 हजार 580 है. सभी जेलों में क्षमता से अधिक 17 हजार 905 बंदी है. बंदियों की अधिकता के कारण जेलों में अव्यवस्थाओं का आलम बना रहता है.
दिनेश नरवागे जेल अधीक्षक सेंटर जेल सागर का कहना है बच्चों को बेसिक शिक्षा देने के साथ-साथ बेहतर इंसान बनाने पर जोर दिया जाता है. जेल के भीतर रहने वाले बच्चों ने बहुत कुछ अच्छा किया है पांच साल की उम्र तक बच्चों को जेल में मां के साथ रखा जाता है. इसके बाद बाल कार्यालय में भेज दिया जाता है वहीं शासन की तरफ से उनकी पढ़ाई और अन्य खर्च भी उठाए जाते हैं.