केपटाउन: केपटाउन शहर न सिर्फ दक्षिण अफ्रीका बल्कि दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। मैं पहली बार 2009 में पुरुषों की IPL कवरेज के लिए यहां आया था। इस बार ICC की महिला T-20 वर्ल्ड कप के लिए आया हूं। 2009 के IPL की तुलना में इस बार जोश भले थोड़ा कम हो, लेकिन यह बात पक्की है कि यह टूर्नामेंट न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर की महिला खिलाड़ियों का जीवन बदल डालेगा। एक तरह से इसकी शुरुआत हो भी चुकी है।
बीसीसीआई ने जब से महिला प्रीमियर लीग की घोषणा की है, तब से पूरी दुनिया में अचानक ही महिला क्रिकेट को लेकर चर्चा बहुत बढ़ी है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे मुल्कों के क्रिकेट प्रशासक बीसीसीआई और इसके युवा अध्यक्ष जय शाह की तारीफ करते नहीं अघा रहे। एक प्रशासक के तौर पर जय शाह ने महिला क्रिकेट की बेहतरी को अपना लक्ष्य बनाया है और उनकी विरासत को इस बात के लिए याद रखा जाएगा कि उन्होंने महिला क्रिकेट की संरचना में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए ठोस कदम उठाए थे।
इन सबके बावजूद बीसीसीआई प्रेजिडेंट के इन प्रयासों को पूरा फल तब तक नहीं मिलेगा, जब तक कि उनकी टीम यह ट्रोफी न जीते। IPL के पहले सीजन से ठीक पहले महेंद्र सिंह धोनी और उनके साथियों ने T-20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा था। उसके बाद IPL ने ऐसी उड़ान भरी कि 15 साल के बाद भी वह फ्लाइट उतरने का नाम नहीं ले रही।
आपको बता दें कि 2017 के बाद से ऑस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय या T20 में ही नहीं बल्कि कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड जीता है और कोई टीम उनके आसपास भी भटकती नहीं दिखी। मगर यह बात भी है कि इस महापराक्रमी ऑस्ट्रेलियाई टीम को अगर कोई एक टीम हरा सकती है तो वह है हरमनप्रीत कौर की टीम, टीम इंडिया।
हाल ही में 5 मैचों की T-20 सीरीज में भले ही टीम इंडिया ने एक ही मैच जीता, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम के विजय रथ को रोकना अपने आप में एक बड़ी बात थी। ऑस्ट्रेलियाई टीम जिसने इस फॉरमैट में 7 में 5 टूर्नामेंट जीते हैं और पिछले दो बार यानी 2018 और 2020 में चैंपियन रही है, उसे जीत की हैट्रिक का इंतजार है।
ध्यान रहे, 1983 में पहली बार कपिल देव की टीम ने जब वनडे का वर्ल्ड कप जीता था, तब भी हालात कुछ ऐसे ही थे। उस समय भी अपराजित लगती वेस्टइंडीज की टीम लगातार दो वर्ल्ड कप जीतकर तीसरा खिताब जीतने के सपने देख रही थी।
टीम इंडिया की तैयारी में नहीं है कोई कमी
कोविड के चलते 2020 के बाद टीम इंडिया भी बहुत ज्यादा क्रिकेट नहीं खेल पाई, लेकिन पिछले साल श्रीलंका को हराकर उसने एशिया कप जीता। इंग्लैंड के साथ अक्टूबर में जोरदार मुकाबला तो किया, लेकिन 2-1 से सीरीज हार गई। इसके बावजूद अपनी तैयारी में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।
भारतीय महिला टीम वर्ल्ड कप के लिए साउथ अफ्रीका दो हफ्ते पहले ही पहुंच गई और यहां एक ट्राई सीरीज में भी हिस्सा लिया। फाइनल में भले ही इस सीरीज में वह मेजबान से हार गई, लेकिन इन मैचों से टीम इंडिया को अपनी कमियों को सुधारने का मौका मिला है।
मंधाना ने शेफाली के साथ मिलकर ऐसी ओपनिंग जोड़ी बनाई है, जिसकी तुलना आप रोहित शर्मा-शिखर धवन या फिर तेंदुलकर-गांगुली की जोड़ी से भी कर सकते हैं। 2020 वर्ल्ड कप के बाद 39 पारियों में इन दोनों ने 1594 जोड़े हैं और इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 115.5 का रहा है। ये आंकड़े वर्ल्ड कप खेलने वाली 10 टीमों में सबसे बेहतर हैं।
चलते-चलते और एक बात कहना चाहूंगा, जो शायद बहुत लोगों को मायूस करे। केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम जाते हुए जिस स्थानीय टैक्सी ड्राइवर से मेरी मुलाकात हुई, उसे इस टूर्नामेंट के बारे में पता भी नहीं था। होटल के बेहद करीब एक भारतीय और एक पाकिस्तानी की दुकानें थीं। उनसे भी मैंने रविवार को होने वाले भारत-पाकिस्तान मुकाबले का जिक्र किया तो वह मेरी तरफ हैरानी से देखने लगे।
अफ्रीकी ड्राइवर ने मुझे बताया कि वह महिला क्रिकेट को समय की बर्बादी समझता है क्योंकि उसमें पुरुषों वाला रोमांच नहीं दिखता। दुनिया में बहुत सारे क्रिकेट फैन्स अब भी इसी पूर्वाग्रह से ग्रसित दिखेंगे, लेकिन मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूं कि फिटनेस और कौशल के मामले में अब महिला टीमें किसी से कम नहीं हैं।
जितने कम समय में उन्होंने जितना लंबा फासला तय किया है कि इसकी मिसाल दूसरे महिला खेलों में देखने को नहीं मिलती। ICC ने भी इस बात पर हैरानी जताई है कि इस बार कवरेज के लिए भारत से सबसे ज्यादा पत्रकार आए हैं, जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी।