मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव नेशनल पार्क में अब फिर टाइगर की दहाड़ सुनाई देगी। शुक्रवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दो बाघ पार्क में छोड़ेंगे। बांधवगढ़ से बाघिन और सतपुड़ा से बाघ को लाया जा चुका है। पन्ना से आने वाली बाघिन घायल मिली, उसे माधव नेशनल पार्क लाने में असमर्थता जताई गई। इस बाघिन को ठीक होने के बाद दो से तीन दिन में पहुंचाया जाएगा। ऐसे में अब दोपहर में एक नर और एक मादा बाघ को ही रिलीज होंगे। पहले तीन को रिलीज करने की प्लानिंग थी।
बांधवगढ़ से बाघ सुबह साढ़े 8 बजे, जबकि सतपुड़ा से बाघ सुबह 11 बजे शिवपुरी पहुंचा। पन्ना से आने वाली बाघिन को गुरुवार रात तक पन्ना नेशनल पार्क की रेस्क्यू टीम पकड़ने में असफल रही थी। सुबह तीन बजे से फिर पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम ने उसे पकड़ने का रेस्क्यू अभियान चलाया, जो चार घंटे बाद सफल हुआ। सुबह करीब 7 बजे हाथियों की मदद से मादा बाघ को पकड़ा लिया गया, लेकिन मेडिकल टीम ने जब से चेक किया तो वह घायल मिली।
बाघों को सड़क मार्ग से ट्रकों में लाया गया
बांधवगढ़ 1 मादा टाइगर को यहां लाया गया है। वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम से एक नर बाघ आया है। माधव नेशनल पार्क की टीम गुरुवार दोपहर को बांधवगढ़ पहुंच गई थी। टीम ने बाघिन को कब्जे में लिया। देर शाम वे सड़क मार्ग से रवाना हुए।
बांधवगढ़ से शिवपुरी की दूरी 500km है, जिसे 11 से 12 घंटे में पूरा कर लिया गया। वहीं, नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से नर बाघ को पिंजरे में रखकर लाया गया। टीम ने 400Km दूर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 11 से 12 घंटे का सफर पूरा कर लिया।
बाड़े के करीब खड़े रहेंगे ट्रक
चूंकि, बाघ रास्ते में कुछ नहीं खाते, इसलिए उन्हें रास्ते में कुछ भी खाने नहीं दिया गया। ट्रकों को बाड़े के करीब ही खड़ा किया गया है, लेकिन इन ट्रकों को स्टार्ट ही रखा गया, जिससे तीनों बाघों को भ्रम रहे कि वे अभी भी सफर ही कर रहे हैं। अगर ट्रक स्टार्ट नहीं रखा जाएगा, तो वे परेशान हो जाएंगे। दोपहर में सीएम शिवराज सिंह चौहान बाघों को बाड़े में छोड़ देंगे। यहां उन्हें भैंस का मांस दिया जाएगा। बाड़े में बाघों के लिए पानी और मांस की व्यवस्था की गई है।
4000 हेक्टेयर में बनाया बड़ा बाड़ा
माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों की देख-रेख के लिए 4 हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर (बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।
बाघों को लगेंगे सैटेलाइट कॉलर आईडी
सीसीएफ शर्मा ने बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए माधव नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। तीनों बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया जा रहा है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट के जरिए निगरानी की जाएगी।
बाघों के बनाए गए एनक्लोजर के इर्द-गिर्द लगभग 6 मचान भी बनाए गए हैं। जिनके जरिए बाघों की निगरानी की जाएगी। विशेष रूप से तीन वाहनों व 18 स्टाफ को टाइगर ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इमरजेंसी में एक रेस्क्यू वाहन, एक डॉग स्क्वायड, उड़नदस्ता भी तैनात किया गया है। इसके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
10 से 15 दिन निगरानी में रहेंगे, फिर खुले में छोड़ेंगे
तीनों बाघों को 10 से 15 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा। माधव नेशनल पार्क के ऐसी जगहों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां बाघ टेरेटरी बना सकते हैं। पार्क के झिरना क्षेत्र को माकूल जगह माना जा रहा है। क्योंकि यह ठंडा क्षेत्र है। यहां झरना होने के चलते पानी भी पर्याप्त मात्रा में है।
झरना होने के कारण अन्य जानवर भी यहां पानी पीने आते हैं। इसके चलते बाघ इस क्षेत्र में आसानी से शिकार कर सकेंगे। यहां एक गुफा जैसा भी हैं, जहां बाघ आसानी से कुनबे को बढ़ा सकेंगे। सतपुड़ा से आ रहे नर बाघ की उम्र करीब 3 साल है, लेकिन कद-काठी में वह वयस्क टाइगर की तरह दिखता है। उसकी हाइट और वजन अच्छा है।
सांसद बोले- टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा
सांसद केपी यादव ने कहा- यह बड़ी उपलब्धि है। यह युवाओं के लिए बड़ी सौगात है। हमारे यहां काेई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है। न कोई मिनरल्स मिलते हैं। हमारे पास एक ही साधन है टूरिज्म। कूनो में चीता आए। माधव नेशनल पार्क में बाघ आ रहे हैं। अब यहां टूरिज्म बढ़ेगा। इससे रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
जानिए, माधव नेशनल पार्क के बारे में…
शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 KM दूर माधव नेशनल पार्क सटा है। पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा है। यह पार्क कभी मराठा, राजपूत और मुगल राजाओं के शिकार करने के लिए पसंदीदा जगह हुआ करता था। आजादी के 11 साल बाद 1958 में पार्क को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। शुरुआत में पार्क मात्र 167 वर्ग किलोमीटर में फैला था। बाद में 375 वर्ग किलोमीटर तक इसका विस्तार किया गया था, जो अब भी बरकरार है।
पार्क में प्रवेश के लिए दो एंट्री गेट हैं। पहला NH-25 पर, जो शिवपुरी से 5 KM दूर है, जबकि दूसरा गेट NH-3 (आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर 7 KM दूर है। पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से भरा है। माधव नेशनल पार्क में अभी नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर और बार्किंग मृग रहते हैं। इसके अलावा तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सूअर, शाही, अजगर आदि जानवर पार्क में देखे जाते हैं।