नई दिल्ली: टीम इंडिया ने 1976 में वेस्टइंडीज दौरे पर इतिहास रचा था। क्वींस पार्क ओवर में सीरीज के तीसरे मैच की चौथी पारी में 406 रन बनाकर टीम ने मुकाबले को अपने नाम किया था। टीम के सामने 404 रनों का लक्ष्य था। यह उस समय टेस्ट की चौथी पारी में हासिल किया गया दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य था। आज तक सिर्फ चार ही बार किसी टीम ने आखिरी पारी में इससे बड़ा लक्ष्य हासिल किया था। इस मैच का तो हम सभी को पता है। लेकिन इस हार के बाद वेस्टइंडीज के खूंखार तेज गेंदबाजों ने अगले मुकाबले में टीम इंडिया के बल्लेबाजों का क्या हाल किया था, शायद ही किसी को पता होगा।
वेस्टइंडीज की हड्डी तोड़ गेंदबाजी
सीरीज का चौथा और आखिरी मैच जमैका के सबीना पार्क में खेला गया था। पिच तेज गेंदबाजों के लिए तैयार की गई। वेस्टइंडीज चार तेज गेंदबाज और बिना किसी स्पिनर के उतरी। उनके पास माइकल होल्डिंग और वेन डेनियल जैसे खूंखार गेंदबाज थे। बर्नार्ड जूलियन और वैन होल्डर भी किसी से कम नहीं थे। भारत की पहले बल्लेबाज आई। सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ ने अच्छी शुरुआत की। लंच तक दोनों ने पारी संभाल ली। लेकिन लंच के बाद स्थिति अलग थी। वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के एक के बाद एक बाउंसर मारने शुरू किये। उस समय हेलमेट भी नहीं होता था। कप्तान क्लाइव लॉयड का गेंदबाजों को साफ मैसेज था- सिर पर गेंद मारो।
97 रनों पर घोषित हुई पारी
दूसरी पारी में तो स्थिति और बिगड़ गई। 97 रनों पर टीम के 5 विकेट गिरे। इसके बाद कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी। अंशुमन गायकवाड़, बृजेश पटेल और गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ ही बिशन सिंह बेदी और चंद्रशेखर भी बल्लेबाजी के लिए नहीं उतरे। कप्तान ने कहा था कि उन्हें और चंद्रशेखर को फील्डिंग के समय हाथ में चोट लगी थी। उन्होंने पारी घोषित नहीं की थी, टीम के पास और खिलाड़ी ही नहीं बचे थे, जो मैदान पर बल्लेबाजी के लिए आ सके। दौरे पर गए सभी 17 खिलाड़ी किसी न किसी समय भारत के लिए मैदान पर उतरे।