नई दिल्ली: रेल आपकी संपत्ति है। आपने ऐसी घोषणाएं कई बार रेलवे स्टेशनों पर सुनी होगी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि रेलवे का सामान आपका है और आप जब चाहें , जितना चाहें उसका सामान उठाकर अपने घर ले जा सकते हैं। ट्रेनों से चलने वाले ऐसे यात्रियों की संख्या कम नहीं है, जो सफर के दौरान मिलने वाले तकिया, चादर, कंबल को अपना मान लेते हैं और उसे अपने सामान के साथ लेकर चल देते हैं। ट्रेन के एसी कोच में मिलने वाले तकिये, चादर और तौलिये को अपने साथ ले जाने वाले यात्रियों से रेलवे परेशान है। यात्रियों की इस आदत की वजह से रेलवे को हर साल इससे लाखों का चूना लग रहा है।
चोर यात्रियों से रेलवे परेशान
यात्री केवल चादर, कंबल, तौलिया, तकिया कवर ही नहीं बल्कि चम्मच, केतली, नल, टॉयलेट में लगी टोटियां, यहां तक की फ्लश पाइप तक चोरी कर लेते हैं। लोग रेलवे की राष्ट्रीय संपत्ति को अपनी संपत्ति मानकर उठा चल लेते हैं, लेकिन इसके कारण रेलवे को भारी नुकसान होता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जोन के ट्रेनों में लोग जमकर रेलवे के सामानों की चोरी कर रहे हैं। बिलासपुर और दुर्ग से चलने वाली लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों में कंबल, चादर, तकिया कवर, फेश टॉवेल की लगातार चोरी हो रही है।
55 लाख रुपये का चूना
बिलासपुर जोन से चलने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों में पिछले चार महीने में करीब 55 लाख रुपये के तकिया, कंबल, फेश टॉवेल, चादर, फिलोकवर, ब्लैंकेट, पिलो चोरी हो गए हैं। भास्कर अखबार में छपी खबर के मुताबिक पिछले चार महीने में लगभग 55 लाख 97 हजार 406 रुपए के सामान चोरी हुए हैं। चार महीने में 12886 फेस टॉवेल की चोरी हुई है, जिसकी कीमत 559381 रुपये है। वहीं एसी से सफर करने वाले यात्रियों ने 4 महीने में 18208 चादर चुराए है, जिसके रेलवे को 2816231 रुपये का नुकसान हुआ है। इसी तरह से रेल यात्रियों ने चार महीने में 19767 पिलोकवर चुराए, जिसकी वजह से रेलवे को 1014837 रुपये का नुकसान हुआ है। इसी तरह से 2796 कंबल की चोरी से रेलवे को चार महीने में 1171999 रुपये का झटका लगा। जबकि 312 तकिए की चोरी से रेलवे को 34956 रुपये ता चूना लगा है।
क्यों हो रही है चोरी
रेलवे ने इस चोरी पर ठेकेदार के खिलाफ सख्ती दिखाई है। रेलवे ने मूल दर से लगभग 75 फीसदी दर के हिसाब से ठेकेदार पर 41 लाख 97 हजार 846 रुपए की पेनाल्टी लगाई है। गौरतलब है कि रेलवे ने ट्रेनों में एसी अटेंडेंट का काम ठेके पर दे दिया है। इन ठेका कंपनी हर ट्रेन के लिए कंबल, चादर, तकिया आदि गिनती के साथ दिए और वापस लिए जाते हैं। लेकिन ठेका कंपनियों की लापरवाही के कारण रेलवे को लगातार नुकसान हो रहा है। कोच अटेंडेंट के काम का ठेका लेने वाली कंपनियां अपने काम को ठीक से नहीं कर रही है।
रेलवे का सामान चुराने पर कितनी सजा
रेलवे का सामान चुराना कानूनी रूप से गलत है। रेलवे के सामान को चुराने या उसे नुकसान पहुंचाने पर रेलवे प्रोपर्टी एक्ट 1966 के तरह आप पर कार्रवाई हो सकती है। रेलवे की प्रोपर्टी को चुराने या नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना और जेल दोनों की सजा है। इसके लिए अधिकतम सजा 5 साल की है। वहीं अधिकतम जुर्माना कोर्ट तय कर सकती है।