नई दिल्ली: अगले 6 महीने मुश्किल भरे हो सकते हैं। कंपनियों की आमदनी घट रही है। खर्च का बोझ बढ़ रहा है। इनकम में कमी और खर्च बढ़ने के कारण कंपनियों ने हायरिंग को रोक दी है। अगले 6 महीने में जिसकी आशंका जताई जा रही है, वो अच्छी खबर नहीं है। मंदी की आशंकाओं के बीच कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। इस लिस्ट में छोटी और बड़ी कंपनियां शामिल है। गूगल (Google), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), एमेजॉन (Amazon) जैसी बड़ी कंपनियां छंटनी का ऐलान कर चुकी है। कंपनियों ने टोटल वर्कफोर्स में कटौती की है। अगले 6 महीने में स्थिति और चुनौतीपूर्ण होने वाली है। अगले 6 महीने में आईटी और स्टार्टअप सेक्टर्स में 15000 से 20000 कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है।
6 महीने में और बढेगी मुश्किलें
आईटी और स्टार्टअप सेक्टर में अगले छह महीने में 15 से 20 हजार वर्कफोर्स की कटौती कर सकती है। दो सालों ने हायरिंग रूकी हुई है। हायरिंग फ्रीज होने, वेतन के बढ़ते लोड के कारण मुश्किलें बढ़ रही है। कुछ आईटी कंपनियां इस बोझ को कम करने के लिए छंटनी का रास्ता चुन रही है। Quess Corp के प्रेसिडेंट लोहित भाटिया ने कहा कि अगले छह महीनों में 20 हजार तक की छंटनी हो सकती है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों से कंपनी मास हायरिंग नहीं कर पाई है। टैलेंटेंड हायरिंग से कंपनियां जूझ रही है। खर्च के बोझ को कम करने के लिए आने वाले दिनों में छंटनी की तलवार लटक सकती है। उनके मुताबिक आईटी और स्टार्टअप सेक्टर जनवरी में 1400 के करीब छंटनी कर सकती है।
क्यों बढ़ी मुश्किलें
एक्सपर्ट के मुताबिक आईटी कंपनियों ने कोरोना काल के जरूरत से ज्यादा हायरिंग कर ली। उन्होंने कम सैलरी पर ज्यादा हायरिंग की। उन्हें उम्मीद थी कि वो इस हायरिंग से ग्रोथ को बरकरार रख सकेंगे। लेकिन वैश्विक मंदी, निवेशकों के दवाब और दुनियाभर में हो रही छंटनी के कारण इन कंपनियों पर भी वर्कफ्रोर्स में कटौती का दवाब बढ़ रहा है। पिछले हफ्ते गूगल ने 12 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। मेटा, एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट ने भी क्रमश: 11000, 18000 और 11000 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया।
राहत भी मिलेगी
Xphono के को फाउंडर कुमार कामथ ने कहा कि भले ही ये मुश्किल दौर है, लेकिन ये मंदी का आखिरी दौर हो सकता है। जहां बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है, वहीं स्किल्ड कर्मचारियों को राहत भी मिलेगी। प्रोडक्ट और आईटी फर्म 15 फीसदी की तेजी से आगे बढ़ सकती है। यानी छंटनी के बाद हायरिंग की उम्मीद भी जगेगी। आईटी फर्म जैसे टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस जैसी कंपनियां हायर इंप्लॉय कॉस्ट से गुजरती है, लेकिन इनका हेडकाउंट गिर रहा है। इन कंपनियों में सबसे ज्यादा जूनियर और मिडल लेवल के कर्मचारी है।