हिमाचल में कांग्रेस CM चेहरे के लिए पेंच फंस गया है। अभी तक हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और प्रचार समिति अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू फ्रंट रनर थे। अब इसमें 4 और नए नाम जुड़ गए हैं, जिनमें मुकेश अग्निहोत्री, राजेंद्र राणा ठाकुर, चंद्र कुमार और धनीराम शांडिल शामिल हैं।
CM चेहरे पर अंतिम फैसला आज शिमला स्थित कांग्रेस कार्यालय में लिया जाएगा, जहां दोपहर बाद विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई है, जिसके लिए कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और ऑब्जर्वर भूपेश बघेल व भूपेंद्र हुड्डा शिमला पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि हिमाचल का अगला CM कौन होगा, इस फैसले पर प्रियंका गांधी की भी नजर है।
प्रतिभा का दावा क्यों मजबूत
प्रतिभा
सिंह हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। उनकी अगुवाई में ही पार्टी बहुमत से
जीती है। वह हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी है। हाल
ही में मंडी विधानसभा क्षेत्र से वह सांसद चुनी गईं। खास बात यह थी कि मंडी
भाजपा सरकार में CM रहे जयराम ठाकुर का गृह जिला है।
सुक्खू क्यों मजबूत दावेदार
सुखविंदर
सिंह सुक्खू छात्र जीवन से ही कांग्रेस संगठन जुड़े हैं। वह कांग्रेस की
स्टूडेंट विंग NSUI के प्रदेश अध्यक्ष रहे। युवा कांग्रेस के भी अध्यक्ष
रहे। इसके बाद वह सबसे लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने वाले नेता
भी है। उनकी हाईकमान से भी काफी नजदीकियां हैं और इस समय कांग्रेस की
प्रचार समिति के सुक्खू अध्यक्ष हैं। कांग्रेस में वीरभद्र सिंह के बाद
सुक्खू ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनके साथ जुड़े कई नेता विधायक बन चुके
हैं।
मुकेश अग्निहोत्री इसलिए रेस में
मुकेश
पत्रकार रहे हैं और वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं। उनके मंत्रिमंडल में
भी मुकेश शामिल थे। वीरभद्र ने उन्हें उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी
थी। मुकेश इस समय कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष हैं।
आज होनी है कांग्रेस MLA की बैठक
हिमाचल
में जीत के बाद कांग्रेस में CM चेहरे को लेकर मंथन शुरू है। नई सरकार के
गठन को लेकर कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक आज शिमला में हो रही
है। इसमें हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला के अलावा छत्तीसगढ़ के CM भूपेश
बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी होंगे।
पहले यह बैठक चंडीगढ़ में प्रस्तावित थी। अब इसे शिमला में ही किया जा रहा
है। इसके लिए कांग्रेस के नवनिर्वाचित MLA सुबह तक शिमला पहुंच जाएंगे।
प्रियंका ने मंगाई थी दावेदारों की फेहरिस्त
हिमाचल
में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के विवाद की आशंका के चलते प्रियंका गांधी
ने पहले ही दावेदारों की फेहरिस्त मंगा ली थी। उन्होंने टोटल 8 प्वाइंट्स
पर उन नेताओं की पूरी कुंडली मांगी थी, जो प्रदेश में CM पद की दौड़ में
शामिल हैं। इनमें से सबसे वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर चुनाव हार गए हैं।
आशा कुमारी और रामलाल ठाकुर भी रेस से बाहर हो गए हैं। अब पूर्व मंत्री
चंद्र कुमार, धनीराम शांडिल और सुजानपुर से विधायक राजेंद्र का नाम भी इस
सूची में है।
तीसर बार विधायक शांडिल, मंत्री भी रह चुके
कांग्रेस
के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि यदि सुक्खू गुट और हॉली लॉज में बात न बनी
तो कोई तीसरा भी हिमाचल कांग्रेस में CM फेस हो सकता है। इनमें सोलन से
तीसरी बार विधायक बने, पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद धनीराम शांडिल का नाम
प्रमुख है।
शांडिल हिमाचल के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सोनिया की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के मेंबर रह चुके हैं। वह दलित वर्ग से संबंध रखते हैं। वह पहले नेता रहे, जिन्होंने शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा था। तब वह पहली बार हिमाचल विकास कांग्रेस की तरफ से भाजपा गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़े और कांग्रेस उम्मीदवार को हराया।
बाद में शांडिल कांग्रेस में शामिल हो गए। निर्विवाद होने के चलते ही वह वीरभद्र सिंह के मंत्रीमंडल में भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रहे। 2017 में जब कांग्रेस प्रदेश में हारी तो भी वह जनता में अपनी ईमानदार छवि के कारण सोलन से दोबारा विधायक बनें।
वीरभद्र के मंत्रिमंडल सहयोगी रहे चंद्र कुमार
सूत्रों
के अनुसार CM की रेस में पूर्व मंत्री एवं सांसद रहे चंद्र कुमार का नाम
भी प्रमुख है। कांगड़ा जिला कद्दावर OBC नेता चंद्र कुमार वीरभद्र सिंह
मंत्रिमंडल के कई बार सहयोगी रहे हैं। उनके पास 1982 से लेकर कृषि, 1984
में वन विभाग, 1989 में पावर प्रोजेक्ट्स, 1993 में वन विभाग एवं पर्यावरण
विभाग रहे। चंद्र कुमार 2004 में लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार फिर से
विधायक बने हैं।
धूमल को हराया राणा ने
कांग्रेस
में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के चलते सुजानपुर के विधायक राजेंद्र
राणा का नाम भी सामने है। राणा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ
से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को हराया था। तब से
कांग्रेस में ही नहीं, पूरे प्रदेश की राजनीति में उनका राजनीतिक कद काफी
ऊंचा हो गया है।
राणा पहले धूमल के ही सबसे करीबी लोगों में गिने जाते थे। भाजपा में रहकर वह भी टिकट के दावेदार थे। टिकट न मिलने पर उन्होंने वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ज्वाइन की थी। कांग्रेस के टिकट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में धूमल को हराकर उन्होंने प्रदेश के राजनीतिक समीकरण बदल दिए थे।
एक अनार-सौ बीमार
प्रदेश कांग्रेस ने प्रचंड जीत तो
हासिल कर ली, मगर 6 बार मुख्यमंत्री बनने वाले वीरभद्र सिंह जैसे करिश्माई
नेतृत्व के न रहने से अब कांग्रेस में CM पद को लेकर एक अनार सौ बीमार वाली
नौबत हो गई है। उनकी विरासत संभाल रही धर्मपत्नी, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
प्रतिभा सिंह और विधायक बेटे ने अधिकार जता दिया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष
एवं विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री
प्रबल दावेदार हैं। अग्निहोत्री के नाम पर राजपूत और ब्राह्मण वर्ग का
विवाद आड़े आ सकता है।