पटना। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधानसभा में की गई घोषणा के बाद प्रदेश में आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा। सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद गुरुवार को राज्य सरकार बिहार विधानसभा में बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए) (संशोधन) विधेयक 2023 पेश करेगी।
मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना के आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया था। उनका कहना था कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट से राज्य की गरीबी जाहिर होती है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण यथावत रहेगा। इसमें बदलाव की कोई संभावना नहीं है। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को मिलने वाला तीन प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों के लिए पहले से जारी आरक्षण में समायोजित कर दिया जाएगा। क्योंकि राज्य सरकार पहले से ही महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे रही है।
75 फीसदी करने पर चला मंथन
मुख्यमंत्री की सदन में की गई घोषणा के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने भी आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने पर मंथन किया और संशोधन विधेयक के प्रारूप पर अपनी सहमति दे दी। सरकार की घोषणा और मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद गुरुवार नौ नवंबर को सरकार विधानसभा में दों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए) (संशोधन) विधेयक 2023 पेश करेगी।
दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित होने के बाद राज्य में अनुसूचित जातियों को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को दो प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को 43 प्रतिशत जबकि आर्थिक रूप से कमजोर तबके को पूर्व की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण मिल सकेगा।
संशोधन के बाद कुछ ऐसा होगा आरक्षण का स्वरूप: (आरक्षण प्रतिशत में)
अनुसूचित जाति – 16 – 20
अनुसूचित जनजाति 1 – 2
पिछड़ा, अति पिछड़ा 30 – 43
आर्थिक कमजोर वर्ग 10 – 10