नई दिल्ली: नई दिल्ली: पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर जान से मारने की धमकियों से परेशान बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को हथियार रखने का लाइसेंस मिल गया है। पैगंबर पर नूपुर की टिप्पणी के बाद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। पैगंबर मोहम्मद विवाद के बाद से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। धमकियां मिलने पर नूपुर शर्मा ने आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति मांगी थी। ऐसे में कुछ लोग जानना चाहते हैं कि हथियार का लाइसेंस पाने की क्या प्रक्रिया होती है? लाइसेंस मिलने में कितना समय लगता है? आइए आपने मन में चल रहे सभी सवालों का जवाब देने के कोशिश करते हैं।
क्या हैं जरूरी शर्ते?
आर्म्स एक्ट, 1959 के तहत आत्मरक्षा के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेकर हथियार ले सकता है। मगर आपकी उम्र 21 साल या अधिक होनी चाहिए। इसके अलावा हथियार का लाइसेंस लेने के लिए जो शर्तें हैं उसमें भारत का नागरिक होना, आपराधिक मामले दर्ज न होना, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना और कोई सरकारी बकाया न होना शामिल हैं। इन शर्तों के अलावा आपको प्रशासिक अधिकारी के समक्ष कारण देना होता है कि आपको जान का खतरा है, इसलिए आपको रिवॉल्वर की जरूरत है।
किसके पास लाइसेंस जारी करने का अधिकार?
लाइसेंस जारी करने का अधिकार राज्य सरकारों के गृह विभाग/मंत्रालय को दी गई है। अलग-अलग राज्यों में डीएम , जिला कलेक्टर, कमिश्नर या इस रैंक के अन्य अधिकारी लाइसेंस जारी करते हैं, लेकिन इसमें पुलिस थाना और लोकल प्रशासन का भी अहम रोल होता है। इसके लिए आपको एक निर्धारित फॉर्मेट में आवेदन करना होता है। मतलब आपको बताना होता है कि आपको पिस्तौल, रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियार चाहिए या फिर राइफल जैसे बड़े हथियार की जरूरत है।
क्या हैं जरूरी दस्तावेज?
हथियार के लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले शख्स को कुछ जरूरी दस्तावेज देने होते हैं। जिसमें पहचान प्रमाण पत्र और एड्रेस प्रूफ, मेडिकल सर्टिफिकेट, आयु प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, संपत्ति की जानकारी, नौकरी या बिजनेस के बारे में जानकारी, किसी प्रकार का लोन या उधार चल रहा हो तो उसकी जानकारी शामिल होती है।
क्या है हथियार का लाइसेंस मिलने की प्रक्रिया?
हथियार का लाइसेंस लेने वाले शख्स को सबसे पहले डीएम/कलेक्टर/कमिश्नर के दफ्तर में आवेदन करना होता है। यहां से आपका प्रार्थना पत्र एसपी कार्यालय में भेजा जाता है और फिर वहां से आपके लोकल पुलिस स्टेशन में एप्लिकेशन को भेजा जाता है। अब पुलिस स्टेशन में आपका वेरिफिकेशन होगा। आपकी पहचान, कामकाज और क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में जांच की जाती है। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी पड़ताल कर सकता है। थाने की ओर से की गई जांच को क्रॉसचेक करने के लिए रिपोर्ट को दोबारा एसपी ऑफिस भेजा जाता है। यहां से आपका आवेदन डीएम कार्यालय भेज दिया जाता है। इसके बाद डीएम के विवेक पर निर्भर करता है कि आवेदक को लाइसेंस जारी किया जाए या नहीं। लाइसेंस मिलने की कोई समय सीमा ही निर्धारित नहीं की गई है।
लाइसेंस मिलने के बाद ही खरीदें हथियार
अगर आपको लाइसेंस मिल गया तो आप वही हथियार खरीद सकते हैं, जिसके लिए आपने आवेदन किया था। बंदूक के लाइसेंस की अर्जी के साथ ही गोलियों के लिए भी अनुमति लेनी होती है। गोलियों का एक फिक्स कोटा होता है। आपने गोलियां कहां खर्च कीं, इसका रिकॉर्ड रखना होता है और इसकी जानकारी देनी पड़ती है।