नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उस प्रावधान को रद्द कर दिया है, जिसमें अप्रैल 2008 के बाद राज्य के बाहर के लोगों से शादी करने वाली सिक्किम की महिलाओं को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत दी गई छूट से बाहर रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसे भेदभावपूर्ण बताया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक महिला किसी की जागीर नहीं है। महिला की खुद की एक पहचान है। सिक्किम की महिला को इस तरह की छूट से बाहर करने का कोई औचित्य नहीं है। पीठ ने कहा कि यह कदम स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 से प्रभावित है। भेदभाव लैंगिक आधार पर है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का पूर्ण उल्लंघन है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ‘एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम’ और अन्य द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (26एएए) को रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी करने वाली सिक्किम की महिला को आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) के तहत छूट के लाभ से वंचित करना, ‘मनमाना, भेदभावपूर्ण और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।’ अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकने के लिए है, और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान है।