नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती के लिए शर्मनाक स्थिति है। वह खुद के खिलाफ #MeToo आंदोलन झेल रहा है। देश की शीर्ष महिला पहलवानों ने अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और धमकी देने का आरोप लगाया है। उनके खिलाफ पहलवानों ने जंग छेड़ी हुई है और चेतावनी दी है कि जब तक न्याय नहीं मिलता यह आंदोलन चलता रहेगा।
2010 और 2019 के बीच भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की ओर से संचालित 24 केंद्रों पर यौन उत्पीड़न के 45 मामलों में से 29 कोचों के खिलाफ थे। इनमें से कई मामले अनसुलझे हैं, जिनमें कोच युवा खिलाड़ियों के साथ काम करना जारी रखते हैं। कड़े नियमों के अभाव में यह चलता रहता है। कर्नल राजेश पट्टू, वीएसएम (सेवानिवृत्त), अर्जुन अवार्डी और तीन बार के एशियाई खेलों के पदक विजेता बड़ी गंभीरता से कहते हैं- खेल संघों को यह समझना चाहिए कि वे यहां खिलाड़ियों और उनके जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं। भारत में महासंघ न तो खिलाड़ी और न ही खेल की परवाह करता है और इसलिए वे सत्ता में बैठे कुछ लोगों के निहित स्वार्थों को बढ़ावा देने की कोशिश में लगे हुए हैं।
- हैंडबॉल, खो-खो और मल्लखंब जैसे कई खेल संघों के पास अभी भी इस तरह के मामलों को लेकर इंटरनल कमिटी नहीं है। मल्लखंब के मामले में सितंबर 2018 में इसके महासंघ के प्रमुख आर. इंदोलिया को सात महिला एथलीटों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कार्रवाई करने में विफल रहने के बाद जबरन उनके पद से हटा दिया गया था।
- भारतीय ओलिंपिक संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष ए पांडे के खिलाफ महिला हैंडबॉल खिलाड़ी सीमा शर्मा ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिन्होंने पिछले साल मार्च में लखनऊ में उत्तर प्रदेश ओलिंपिक संघ के कार्यालय में उनके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
- यही नहीं, मई 2015 में, चार जूनियर महिला एथलीटों ने केरल के अलप्पुझा में एक SAI हॉस्टल में अपने कोच द्वारा परेशान किए जाने के बाद आत्महत्या की कोशिश की थी। इसमें 15 वर्षीय रोवर अपर्णा रामचंद्रन की मौत हो गई थी।
- जून 2022 में एक प्रमुख महिला साइकिलिस्ट ने स्लोवेनिया की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय कोच आरके शर्मा पर "अनुचित व्यवहार" का आरोप लगाया था। कोच को बाद में SAI द्वारा समाप्त कर दिया गया था, जब उसके ICC ने, प्रथम दृष्टया, उन्हें यौन दुराचार का दोषी पाया।
- उसी महीने एक जूनियर महिला नाविक ने एक वरिष्ठ कोच पर टीम की महीने भर की जर्मनी दौरे के दौरान उसके साथ "असहज" और "अच्छा व्यवहार नहीं करने" का आरोप लगाया था।
- अपने प्रशिक्षकों के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायतों की बढ़ती संख्या ने SAI को विदेशी टूर और नेशनल कैंप में महिला एथलीटों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खेल संघों को दिशानिर्देश जारी करने के लिए मजबूर किया।
SAI इस तरह के मामलों को रोकने के लिए क्या कर सकता है
- महिला प्रशिक्षकों को घरेलू/अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दौरान महिला एथलीटों के साथ किसी भी दल के साथ अनिवार्य रूप से जाना होता है
- एनएसएफ को राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में महिला प्रशिक्षकों/सहायक स्टाफ को बढ़ाना चाहिए
- सभी राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों और विदेशी एक्सपोजर में एक कॉम्पलेंस ऑफिसर नियुक्त किया जाना है
- अधिकारी की जिम्मेदारियों में एथलीटों और अन्य लोगों के साथ नियमित रूप से बातचीत करना शामिल है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है और साथ ही खेल में यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर एसओपी लागू करना भी शामिल है।
खेल मंत्रालय और SAI एथलीटों के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। महिला खिलाड़ी अक्सर कई वजहों से दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने से बचती हैं और अपनी शिकायतें वापस लेती हैं। यह एक तरह का डर के कारण होता है। हर कोई डरता है कि समाज उन्हें कैसे देखेगा, उनकी शादी को लेकर दिक्कत होगी। उनके करियर को खतरा हो सकता है। कैंप से भी निकाला जा सकता है।
- ऐसे कई मामले सामने भी आ चुके हैं
एक उल्लेखनीय मामले में लुधियाना की एक नाबालिग महिला साइकिलिस्ट को मार्च 2021 में दिल्ली के आईजी स्टेडियम में राष्ट्रीय शिविर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि उसकी सहायक कोच ए सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद POCSO अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी। उस समय आईजी स्टेडियम के प्रशासक, ए ज्योति को पदोन्नत किया गया था और दिल्ली से एनआईएस पटियाला में स्थानांतरित कर दिया गया था।SAI और NSF को युवा टैलेंट पहचानने और निखारने का काम दिया गया है। उन्हें सिस्टम में किसी भी तरह की कमियों की पहचान करने और विभिन्न कमजोरियों से निपटने के लिए SOPs को लागू करने की जिम्मेदारी पर विचार करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि SAI केंद्रों और NSF में स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट और मेंटल कंडिशनिंग कोच जैसों की तत्काल आवश्यकता है, जो संकट की घड़ी में एथलीटों को मदद कर सकें।