नई दिल्ली : उत्तराखंड में माणा गांव आखिरी गांव है, यह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास है। यहां पहुंचने का रास्ता जोशीमठ से होकर जाता है। जोशीमठ से माणा की दूरी सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर से भी कम है। जोशीमठ जिस प्राकृतिक आपदा को झेल रहा है उसके बाद प्रशासन ने उसके आसपास के हैलिपेड की लिस्ट बनानी शुरू की है और यह देखा जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर लोगों को निकालने के लिए किस हैलिपेड का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक तरफ यह तस्वीर है वहीं दूसरी तरफ माणा में बनने वाले हैलिपेड पर काम नहीं हो पाया। आर्मी को माणा में मिलिट्री हैलिपेड चाहिए था और इसके लिए 5 करोड़ 28 लाख रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट भी किया गया। लेकिन जिस कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट दिया गया उसने इसमें इतनी देरी कर दी है कि आर्मी ने अब इसकी शिकायत पुलिस में की है और कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है।
उत्तराखंड पुलिस सूत्रों के मुताबिक गढ़वाल स्काउट्स जोशीमठ की तरफ से गोविंदघाट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसमें कहा गया है कि माणा में सैन्य हैलिपेड बनाने के लिए करीब 5 करोड़ 28 लाख रुपये का कॉन्ट्रैक्ट एपीकॉन कंस्ट्रक्शंस को दिया गया। यह कॉन्ट्रैक्ट जुलाई 2021 में ही हो गया था और 13 मार्च 2022 तक काम पूरा हो जाना था। शिकायत में कहा है कि ‘कंपनी ने सीमावर्ती अति संवेदनशील क्षेत्र माणा में अत्यावश्यक काम में अत्यंत असंवेदनशीलता दिखाई और काम शुरू करने में बिना वजह देरी की। फिर कॉन्ट्रैक्ट को 14 अगस्त 2022 तक बढ़ाया गया लेकिन फिर भी काम की प्रगति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया’।
आर्मी की तरफ से की गई शिकायत में कहा गया है कि अभी तक 56 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान हो चुका है। शिकायत में कहा है कि माणा में स्थित सैन्य हैलिपेड फॉरवर्ड पोस्ट में बेहद जरूरी सैन्य सामग्री पहुंचाने, फॉरवर्ड पोस्ट मे तैनाती और आपातकालीन स्थिति में चौकसी बढ़ाने के लिए बेहद अहम है। ऐसे महत्वपूर्ण काम में देरी देश की सुरक्षा में चूक है और यह सेना की तैनाती में लगने वाले समय पर असर डालती है। हैलिपेड पर काम कॉन्ट्रैक्ट की तारीख बढ़ाने के बाद भी रुका रहा और इससे सेना के समय की हानि हुई साथ ही एक सक्षम सैन्य हैलिपेड की उपलब्धता में भी हानि हुई है। पिछले हफ्ते इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज पाण्डे ने भी आर्मी को मिलने वाले बजट की जानकारी देते हुए कहा था कि पिछले साल हमें जो बजट मिला था उसमें से कुछ का इस्तेमाल कोविड की वजह से नहीं कर पाए और कुछ इस वजह से नहीं कर पाए कि कुछ वेंडर ने टाइम लाइन का पालन नहीं किया।