नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को आम बजट पेश करेंगी। इस बार आम बजट से सभी वर्गों को बहुत उम्मीदें हैं। लेकिन इस बार आम बजट में देश के वेतनभोगियों को बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। इस बात की चर्चा है कि सरकार वेतनभोगियों को 80सी के तहत होने वाले निवेश पर मिलने वाली छूट की सीमा बढ़ा सकती है। वेतनभोगी वर्ग के लिए धारा 80सी टैक्स बचाने का सबसे अहम सेक्शन होता है। इस सेक्शन के तहत छूट की सीमा बढ़ाने का मतलब है कि अधिक से अधिक लोगों को राहत मिलना तय है। अभी धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये है। ऐसी चर्चा है कि बजट 2023 में धारा 80C के तहत सरकार डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 200,000 रुपये सालाना कर सकती है। सरकार सीधे-सीधे डिडक्शन लिमिट को 50 हजार रुपये बढ़ा सकती है। ऐसा होने पर वेतनभोगी वर्ग को काफी राहत मिल सकती है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आपकी सैलरी 10 लाख रुपये है तो डिडक्शन लिमिट बढ़ने से आपके कितने पैसे बच जाएंगे।
क्या है आयकर अधिनियम की धारा 80C
बता दें कि भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएं 80 CCC, 80 CCD हैं। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को एक फाइनेंशियल ईयर के टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट और पार्टनरशिप आदि में को नहीं मिलती है। आप इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं। धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) आदि सेवाएं शामिल हैं। धारा 80 CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती हैं। 80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) आता है।
क्या है आयकर अधिनियम की धारा 80C
बता दें कि भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएं 80 CCC, 80 CCD हैं। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को एक फाइनेंशियल ईयर के टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट और पार्टनरशिप आदि में को नहीं मिलती है। आप इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं। धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) आदि सेवाएं शामिल हैं। धारा 80 CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती हैं। 80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) आता है।
क्या है आयकर अधिनियम की धारा 80C
बता दें कि भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएं 80 CCC, 80 CCD हैं। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को एक फाइनेंशियल ईयर के टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट और पार्टनरशिप आदि में को नहीं मिलती है। आप इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं। धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) आदि सेवाएं शामिल हैं। धारा 80 CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती हैं। 80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) आता है।
क्या है आयकर अधिनियम की धारा 80C
बता दें कि भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएं 80 CCC, 80 CCD हैं। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को एक फाइनेंशियल ईयर के टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट और पार्टनरशिप आदि में को नहीं मिलती है। आप इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं। धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) आदि सेवाएं शामिल हैं। धारा 80 CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती हैं। 80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) आता है।
जानिए डिडक्शन लिमिट बढ़ी तो कितना बचेगा पैसा
इस बात की काफी चर्चा है कि सरकार इस बार आम बजट में वेतनभोगियों को खुश करने की तैयारी कर रही है। सरकार बजट 2023 में धारा 80C के तहत सरकार डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 200,000 रुपये सालाना कर सकती है। ऐसा होने पर वेतनभोगियों के कितने पैसे बचेंगे? इसे ऐसे समझें की जो भी अमाउंट आप इस धारा के जरिए क्लेम करते हैं, उसे आपकी ग्रॉस टोटल इनकम से कम कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे इनकम टैक्स को आसानी से कैलकुलेट किया जा सके। अब अगर किसी की टोटल सैलरी 10 लाख रुपये है। इसमें से 2.5 लाख रुपये की टैक्स छूट सभी को मिलती है। 50 हजार रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा मिलती है। ऐसे में टैक्सेबल इनकम 7 लाख रुपये होती है। अब अगर आप धारा 80 सी के जरिए 1.5 लाख रुपये के छूट के लिए क्लेम करते हैं तो आपकी टैक्सेबल इनकम (जिस पर टैक्स लगेगा) 5.5 लाख बन जाएगी। वहीं डिडक्शन लिमिट 1.5 लाख रुपये से बढ़कर 2 लाख रुपये किए जाने पर धारा 80 सी के जरिए 2 लाख रुपये के छूट के लिए क्लेम होगा। ऐसे में 10 लाख रुपये सैलरी वाले पर्सन की टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये बनेगी। मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब में 2.5 से 5 लाख तक सालाना आय पर 5% टैक्स लगता है। ऐसे में डिडक्शन लिमिट बढ़ने पर 10 लाख की इनकम वाले वेतनभोगी की 2500 रुपये की बचत और हो जाएगी।