नई दिल्ली : देश का बजट आज बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) संसद में पेश करेंगी। बजट 2023 से होमबायर्स को बड़ी उम्मीदें हैं। होम लोन पर लगातार बढ़ती ब्याज दरें मिडिल क्लास की कमर तोड़ रही हैं। ये लोग चाहते हैं कि बजट में होम लोन (Home Loan) से जुड़ी टैक्स छूट बढ़ाई जाएं। अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले यह मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में इस बजट से उम्मीदें ज्यादा हैं। आज 11 बजे वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी। आइए जानते हैं कि इस बजट में होमबायर्स को क्या-क्या सौगातें मिल सकती हैं।
मूलधन के रिपेमेंट पर अलग से डिडक्शन
होम लोन मूलधन के रिपेमेंट पर अलग से डिडक्शन की मांग लंबे समय से लंबित है। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत डिडक्शन की सीमा 1.5 लाख रुपये तक है। इस डिडक्शन में आने वाले इन्वेस्टमेंट्स और खर्चों की टोकरी लगभग 10 चीजों से भरी है। इनमें होम लोन के मूलधन का रिपेमेंट भी शामिल है। लोग ईपीएफ और बच्चों की ट्यूशन फीस में अनिवार्य योगदान के साथ ही 80सी की लिमिट को पूरा कर देते हैं। कुछ लिमिट बची हो, तो जीवन बीमा पॉलिसियों पर प्रीमियम उसे भर देता है। इसलिए इसमें होम लोन के मूलधन पर डिडक्शन के लिए मुश्किल से ही जगह बच पाती है।
बढ़े ब्याज भुगतान के लिए डिडक्शन की सीमा
होम लोन में मूलधन के रिपेमेंट के अलावा एक होमबायर को होम लोन पर ब्याज (Interest on a Home Loan) भी चुकाना होता है। घर लेने के लिए एक बड़ी रकम की जरूरत होती है। ऐसे में कई कर्जदार भारी भरकम होम लोन लेते हैं। उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा होम लोन पर ब्याज चुकाने में ही चला जाता है। कई लोगों के लिए होम लोन पर सालाना ब्याज भुगतान डिडक्शन की उस लिमिट से बहुत अधिक होता है, जिसका वे क्लेम कर सकते हैं। आरबीआई रेपो रेट में 2.25 फीसदी का इजाफा कर चुका है। इसके चलते होम लोन पर ब्याज दरें भी काफी ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में ग्राहकों को भारी ब्याज चुकाना होगा। घर खरीदारों की मांग है कि ब्याज भुगतान के लिए डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जाए।
कैपिटल गेन्स नियमों में मिले राहत
आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत मौजूदा घर की बिक्री से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का उपयोग नई संपत्ति खरीदने या निर्माण करने में किया जा सकता है। यदि छूट के लिए निवेश एक निर्माणाधीन संपत्ति के माध्यम से किया जाता है, तो इसका क्लेम तभी किया जा सकता है, जब संपत्ति का निर्माण पहले के घर की बिक्री के तीन साल के भीतर पूरा हो गया हो।
किफायती आवास
सरकार को किफायती आवास बजट में शहरवार घरों के मूल्य निर्धारण पर गंभीरता से सोचना चाहिए। इसकी परिभाषा के अनुसार घरों का आकार (60 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया) काफी उपयुक्त है। लेकिन अधिकांश शहरों में घरों की कीमत (45 लाख रुपये तक) व्यवहार्य नहीं है। मुंबई जैसे शहर के लिए 45 लाख रुपये से कम का बजट बहुत कम है। इसे बढ़ाकर कम से कम 85 लाख रुपये या उससे अधिक करने की जरूरत है। दूसरे टॉप शहरों के लिए बजट को कम से कम 60 लाख रुपये से बढ़ाकर 65 लाख रुपये किया जाना चाहिए।