नई दिल्ली : आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत रक्षा क्षेत्र में भी पूरा जोर स्वदेशी तकनीक और स्वदेशी इंडस्ट्री पर है। लेकिन स्वदेशी कंपनियों को प्रोटोटाइप विकसित करने में मदद के लिए जो फंड दिया गया था उसका आर्मी के लिए महज 1 पर्सेंट और एयरफोर्स के लिए महज 10 पर्सेंट ही खर्च हो पाया। इस बार अब फिर बजट में आर्मी प्रोजेक्ट्स के लिए 100 करोड़ और एयरफोर्स प्रोजेक्ट्स के लिए 1264 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। आर्मी प्रोजेक्ट्स के लिए पिछले बार भी इतना ही मिला था जबकि एयरफोर्स को अब पिछली बार के मुकाबले इस बार 133 करोड़ रुपये कम मिले हैं। पिछली बार बजट अनुमान में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और स्वदेशी इंडस्ट्री को मदद देकर आगे बढ़ाने के लिए कुल 1364 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था।
दो साल पहले फाइनेंस कमिशन ने भी डिफेंस और इंटरनल सिक्योरिटी के लिए एक नॉन लेप्सेबल फंड बनाने की सिफारिश की थी। नॉन लेप्सेबल फंड का मतलब है कि वह फंड जिसमें आया पैसा साल गुजर जाने के बाद लेप्स नहीं होता बल्कि उसे आगे इस्तेमाल किया जा सकता है। पिछले साल रक्षा मामले की संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि डिफेंस फोर्सेस को मिलने वाले कैपिटल बजट (जिससे हथियार और जरूरी सामान की खरीद की जाती है) को नॉन लेप्सेबल बनाया जाए।