इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफताह इस्माइल ने बुधवार को कहा कि पिछले 20 सालों से देश की जीडीपी गिर रही है और आज देश बेहद ही गरीब हो चुका है। भयानक संकट में फंसे पाकिस्तान की सारी नजरें अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) पर टिकी हैं। पिछले एक साल से देश तीन अरब डॉलर वाले बेलआउट पैकेज का इंतजार कर रहा है। यह बेलआउट पैकेज कर्ज में घिरे पाकिस्तान को थोड़ी राहत दे सकता है। मगर यह पैकेज कब हासिल होगा कोई नहीं जानता है। ऐसी खबरें आई थीं कि कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान को राहत पैकेज चाहिए। आईएमएफ इस मूड में नहीं है कि वह कर्ज चुकाने के लिए पैकेज दे। कुछ लोग दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि कहीं न कहीं इस स्थिति के लिए चीन जिम्मेदार है।
पिछले साल आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा था कि वह चीन के साथ हुए उन ऊर्जा समझौतों का फिर से आकलन करे जिसके तहत उसे 300 अरब डॉलर की रकम अदा करनी है। यह रकम देश में मौजूद कई चीनी कंपनियों को अदा की जानी थी। जून 2022 में दोहा में हुई वार्ता में पाकिस्तान ने जब तीन अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का जिक्र किया तो उसे यही जवाब मिला था। यह मांग पाकिस्तान से तरफ से तब की गई जब चीन ने चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत आने वाले प्रोजेक्ट्स पर समझौते से इनकार कर दिया था। आईएमएफ का मानना था कि चीनी इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स (IPP) पाकिस्तान से कहीं ज्यादा कीमत वसूल कर रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान जल्द से जल्द ये डील्स चाहता है।
सीपीईसी के तहत 30 से ज्यादा चीनी कंपनियां मौजूद हैं जो कि एनर्जी, कम्युनिकेशन, रेलवे, रोड और हाइवे निर्माण के कामों में लगी हैं। आईएमएफ ने इस बात पर भी चिंता जताई थी कि पाकिस्तान को चीनी आईपीपी को एक बड़ी रकम अदा करनी है। इससे पहले पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ 50 अरब रुपए चीनी आईपीपी के लिए रिलीज कर चुके थे। यह 340 अरब रुपए की पहली किश्त के तौर पर था जिससे ईधन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकी।
आईएमएफ की तरफ से कई बार इस बात को लेकर विरोध जताया गया है कि पाकिस्तानी सरकार ने तुरंत ही 50 अरब रुपए की रकम चीनी कंपनियों के लिए जारी कर दी है। इसके बाद आईएमएफ ने पाकिस्तान से उन पावर प्लांट्स की लिस्ट मांगी थी जिन्हें यह रकम मिली है। आईएमएफ को हमेशा से इस बात की चिंता रही है कि सीपीईसी के धीमी गति वाले प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। इस वजह से संगठन ने भी पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर चुप्पी साधी हुई है। पिछले कई सालों से ये प्रोजेक्ट्स अटके हैं और चीन के कई अरब डॉलर भी इन्हें पटरी पर नहीं ला पा रहे हैं।
इस बात सख्त है IMF
पिछले 60 सालों में आईएमएफ ने पाकिस्तान को 22 बार कर्ज दिया है। लेकिन हर बार कर्ज कुछ शर्तों पर मिला है। लेकिन इस बार आईएमएफ की शर्तें काफी सख्त हैं और उसे अब सीपीईसी में शामिल चीन के वित्तीय संस्थानों की जानकारी चाहिए। आईएमएफ को पाकिस्तान से यह भरोसा भी चाहिए कि वह इस रकम को चीनी कर्ज को अदा करने में प्रयोग नहीं करेगा।