नई दिल्ली: सरकार का यह बजट अगले आम चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। इसमें कई कदम उठाए गए हैं, जिनका मकसद ना सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार करना है बल्कि इसमें यह भी ध्यान रखा गया है कि समाज के सभी वर्गों तक विकास का फायदा पहुंचे। इस बजट में भी सरकार का ध्यान इन्फ्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट बढ़ाने पर बना हुआ है। कैपिटल एक्सपेंडिचर को वित्त वर्ष 2024 में 33.4 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है, जो करीब 10 लाख करोड़ रुपये की रकम है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) ने भी बजट से पहले अपने सुझावों में इसे शामिल किया था। इसके साथ राज्य सरकारों को 50 साल के लिए बगैर ब्याज के कर्ज देने की योजना को साल भर के लिए बढ़ाया गया है। इस रकम का इस्तेमाल उन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट की खातिर करना है। इनके अलावा, सरकार ने रेलवे में भी 2.4 लाख करोड़ के निवेश का प्रस्ताव रखा है, जो अब तक इस मद में खर्च की जाने वाली सबसे बड़ी रकम है। वित्त वर्ष 2024 के बजट में किए गए इन प्रस्तावों से इकॉनमी को कई स्तर पर फायदा होगा। इसके साथ 10 हजार करोड़ का अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड (UIDF) भी छोटे शहरों के लिए बनाया जाएगा इसका असर यह होगा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट का फायदा समाज के सभी वर्गों तक पहुंचेगा।
यह बजट ऐसे वक्त में आया है, जब ग्लोबल इकॉनमी (Global Economy) मुश्किल में है। इन हालात में सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की जो पहल की है, वह तारीफ के काबिल है। इसके साथ, डायरेक्ट टैक्स में उसने जो बदलाव करने की बात कही है, वह एक कदम आगे की बात है। इनकम टैक्स में उसने जो छूट दी है, उससे कंजम्पशन बढ़ाने में मदद मिलेगी। खासतौर पर मध्यवर्ग की ओर से। इससे भी बड़ी बात यह है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटे को 6.4 फीसदी के बजट अनुमान तक रखने में कामयाबी हासिल की है। वित्त वर्ष 2024 में उसने इसे घटाकर 5.9 फीसदी तक लाने का वादा किया है। इसका मतलब यह है कि सरकार अपना घाटा कम करने की राह पर आगे बढ़ रही है और इसके लिए प्रतिबद्ध है। कुल मिलाकर, यह एक प्रैक्टिकल बजट है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा। इससे दुनिया में भारत किसी सितारे की तरह जगमगा सकता है।