नई दिल्ली: हर तरफ अडानी संकट की चर्चा है। सड़कों से लेकर संसद तक इस पर हंगामा मचा हुआ है। संकट में विपक्ष राजनीति तलाश रहा है। वह मोदी सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की फिराक में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी की नजदीकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरा विपक्ष इस मुद्दे को ले उड़ा है। वह इस मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग कर रहा है। यह और बात है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का सच अब तक साबित होना बाकी है। जो काम राहुल गांधी की कई महीनों की यात्रा नहीं कर पाई, अडानी संकट उसे पूरा करता दिख रहा है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तमाम विरोधी दल लामबंद हो गए हैं। कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) तक अडानी मुद्दे को लेकर हमलावर हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने बाद से अडानी समूह के लिए संकट बना हुआ है। ग्रुप की तमाम कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली दर्ज की गई है।
हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा खत्म हुई। कई महीनों की यह यात्रा भी समूचे विपक्ष को एकजुट करने में नाकाम रही थी। आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे प्रमुख दलों ने इस यात्रा से दूरी बनाई थी। यात्रा की समाप्ति पर दिए गए न्योते में भी कई विपक्षी दल नदारद रहे। आप को तो इसका न्योता भी नहीं दिया गया था। इससे साफ हो गया कि विपक्ष में खींचतान है। कई बीजेपी विरोधी दल भारत जोड़ो यात्रा को कांग्रेस की निजी यात्रा के तौर पर देख रहे हैं। दूसरा वे कांग्रेस के नेतृत्व को भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इनमें खासतौर से आप और तृणमूल कांग्रेस शामिल हैं।
यह अलग बात है कि अडानी मुद्दे ने इस बिखराव को खत्म किया है। कह सकते हैं कि विपक्ष के जिस बिखराव को राहुल की भारत जोड़ो यात्रा खत्म नहीं कर सकी। वह काम अडानी मुद्दे ने कर दिया है। कांग्रेस, आप से लेकर शिवसेना, टीआरएस और वाम दल सबके सुर मिल गए हैं। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी है।