डित जी ने किया क्या कुछ नहीं लेकिन तोहमत लगी है कि पंडित जी ने जाति बनाई हैं पंडित जी ने जातिवाद बनाकर गलत कर दिया।
पंडित जी हमेशा गलत ही होते हैं क्या करें पंडित जो ठहरे।
कोई आज तक बता नहीं पाया जाति कब बनी।
किस पंडित ने बनाई।
तुलसीदास दुबे थे इससे यह पता चलता है कि जाति पहले बन गई थी।
संत रविदास चमार जाति से थे जो तुलसी दास के पहले हुए यानि जाति बन चुकी थी।
मनु स्मृति वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालती है लेकिन जाति बनने का कोई इशारा नहीं करती। मनु स्मृति लिखने वाले मनु क्षत्रिय थे इसका मतलब जाति बन चुकी थी।
जीजस क्राइस्ट से सात सौ वर्ष पूर्व सनातन धर्म की पुनः स्थापना करने वाले मंडन मिश्र उनके गुरु कुमारिल भट्ट के नाम से पता चलता है कि जाति पहले बन चुकी थी।
आज चमार जाति का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
सब्जी बेचने का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
लोहार का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
मांस बेचने का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
बढई का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
बंगलादेशी मुसलमान सफाई वाले का काम बड़े चाव से कर रहे।
नाई का काम मुसलमान बड़े चाव से कर रहे हैं।
उनको कोई कष्ट नहीं वह अछूत भी नहीं होते वह काम के आधार पर वर्ण व्यवस्था में नहीं घुसते।
उन्हें काम चाहिए।
हिन्दुओं में वर्ण व्यवस्था अब सिर्फ कागजों पर है।
सड़क पर गोल गप्पे,आलू टिक्की, चाऊमीन कौन बना रहा है कौन बेच रहा है इससे कोई मतलब नहीं।
सब शौक से खा रहे हैं।
पंडित जी गरियाये जा रहे जबकि गोलगप्पे का मजा पंडित जी भी ले रहे हैं बिना जाति पूछे।
त्रेतायुग में निषादराज ने भगवान राम के बराबर बैठने से इंकार कर दिया था।
इसका मतलब जाति बन चुकी थी।
सतयुग में राजा हरिश्चंद्र जो क्षत्रिय कहे गये काशी में डोम को बिक गए थे।
यानि जाति बन चुकी थी।
जाति किसने बनाई आज ऐलान हुआ है।
जाति पंडित जी ने बनाई।
ऐसी बनाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
सरकारी कागजों में चिपक गई है।
पंडित जी आत्महत्या करना चाहते हैं लेकिन कई बार फांसी लगाने के बाद भी मरे नहीं है।
जाति व्यवस्था अमर हो गई पंडित जी का क्लेश हो गई।
वैसे जाति किस काल में बनी कौन बताएगा।
किसी को पता हो तो समय काल बताए।