अंकारा: सोमवार छह फरवरी को तुर्की और सीरिया के बॉर्डर पर आया भूकंप सबसे ज्यादा भयंकर साबित हुआ। इस भूकंप में अब तक 15000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग मलबे में अभी तक दबे हुए हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है। इस भूकंप का केंद्र तुर्की का गजियानटेप प्रांत का नूरदागी था। यह जगह सीरिया और तुर्की के बॉर्डर पर है। साल 2015 में नेपाल आए भूकंप के बाद इसे सबसे भयावह भूकंप करार दिया जा रहा है। नेपाल भूकंप में करीब नौ हजार लोगों की मौत हो गई थी।
तुर्की और सीरिया दोनों ही जगह इस समय जमकर ठंड पड़ रही है। इस खून जमा देने वाली सर्दी ने राहत और बचावकार्य को बाधित किया है। सर्दी की वजह से यह उम्मीद भी खत्म होती जा रही है कि मलबे में कोई जिंदा बचा होगा। 6500 बिल्डिंग्स गिरी हैं और टनों मलबे से लोगों को निकालने का काम जारी है। तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश, सीरिया में भी आई तबाही के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद भेजने की कोशिशों में लगा हुआ है। लेकिन नुकसान इतना ज्यादा है कि सभी कोशिशें मुश्किल होती जा रही हैं।
गजियानटेप में इस समय मौसम -5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। इस मौसम में भूकंप में बचे हुए लोगों को कारों में और टेंट में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिनके घर सही सलामत हैं, वो भी अपने घरों में जाने से डर रहे हैं। लोग घरों से निकलकर सड़क पर हैं और अपने बच्चों को समझाने में लगे हुए हैं। कंबल में बच्चों को लपेटे मां-बाप उन्हें समझाने की कोशिशेां में लगे हैं। शहर की अथॉरिटीज ने भी लोगों को अपार्टमेंट्स में जाने से रोक दिया है। इस क्षेत्र में रोजाना ही भूकंप के बाद झटके आ रहे हैं।
तुर्की की सरकार ने जिस तरह से भूकंप को लेकर प्रतिक्रिया दी, उसकी वजह से उसे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने यह बात मानी है कि राहत और बचाव कार्य में कुछ कमियां रह गई हैं। एर्दोगन ने बुधवार को कहा कि इतनी बड़ी आपदा के लिए तैयार रहना संभव नहीं था, हालांकि मीडिया रिपोटरें में अब कहा जा रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है। भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि यह एकता, एकजुटता का समय है। इस तरह के दौर में, मैं राजनीतिक हित के लिए नकारात्मक अभियान चलाने वाले लोगों का पेट नहीं भर सकता।