अंकारा: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने भयानक तबाही मचाई है। तुर्की में पिछले 20 साल में आया यह सबसे तगड़ा भूकंप है। इस भूकंप ने मरने वालों की संख्या के सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अब तक भूकंप से दोनों देशों में 24,000 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में सोमवार को 7.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था। इस भूकंप के बाद भी कई हल्के झटके महसूस किए गए हैं। 1999 में आए भूकंप में 17,000 लोगों की मौत हुई थी। रेसेप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को अदियामन प्रांत की यात्रा की और कहा कि सरकार की प्रतिक्रिया और बेहतर हो सकती थी।
चुनाव में भूकंप निभाएगा भूमिका
तुर्की में मुख्य विपक्षी दल के नेता केमल किलिकडारोग्लू ने सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना की। उन्होंने एक बयान में कहा कि, "भूकंप बहुत बड़ा था लेकिन भूकंप से कहीं बड़ा कोऑर्डिनेशन की कमी, योजना की कमी और अक्षमता थी।" यह भूकंप राष्ट्रपति एर्दोगन की किस्मत बदल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल 14 मई को मतदान होने हैं। सहायता और वितरण सामग्री में देरी से लोगों ममें गुस्सा है। वहीं, यह भी संभव है कि चुनाव को स्थगित कर दिया जाए।
भारत की टीम कर रही मदद
इस भूकंप से सीरिया में अब तक 4000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। अभी भी लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। तुर्की में दर्जनों देशों की ठीम राहत-बचाव कार्य के लिए पहुंची है। भारत की ओर से NDRF की टीम भी पहुंची है जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है। ठंड के में वह लगातार शांति के साम कर रहे हैं, ताकि कंक्रीट के नीचे किसे के बचे रहने की आवाज सुनी जा सके। तुर्की के ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ फाउंडेशन के प्रमुख बुलेंट यिलदिरिम प्रभाव देखन के लिए सीरिया गए थे। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं, जैसे हर एक बिल्डिंग पर मिसाइल गिरा दी गई है।