भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप (AWG) की पहली मीटिंग के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक में शिरकत की। सुबह 9.30 बजे पहला सेशन शुरू हो गया। मंत्री सिंधिया ने जी-20 सदस्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से चर्चा की।
सेशन के बाद मंत्री सिंधिया ने मीडिया को बताया कि कृषि का क्षेत्र भारत के लिए अति महत्व के इतिहास से लेकर आज तक और आज से लेकर भविष्य तक रहेगा।
सिंधिया ने कहा कि यह कार्यक्रम मप्र में आयोजित होना सबसे उचित है। मप्र ने कृषि के क्षेत्र में पिछले 18 सालों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सिंचाई का रकबा करीब 2 लाख हेक्टेयर होता था वही रकबा 18 सालों में 50% बढ़कर 200 लाख हेक्टेयर से 300 लाख हेक्टेयर हो चुका है। मप्र में करीब 163 लाख टन अनाज का उत्पादन होता था, आज 619 लाख टन का उत्पादन हुआ है यानी 400 गुना वृद्धि हुई है।
फलों-सब्जियों में भारत दूसरे व अनाज में तीसरे नंबर पर
मप्र सोया, दाल व लहसुन के उत्पादन में आज उभर चुका है। देश के सबसे पांच बड़े दूध उत्पादक राज्यों में मप्र भी शामिल हो चुका है। विश्व में दूसरे नंबर पर फल व सब्जियों के क्षेत्र और तीसरे नंबर पर अनाज के उत्पादन के रूप में हमारा स्थान है। इसमें 8 सालों में हम 265 मिलियन टन से 314 मिलियन टन तक पहुंच चुके है। कृषि को प्रोत्साहन देने से उत्पादन करीब 4.5 गुना बढ़ाकर 10.50 गुना मिलियन डॉलर आज हो चुका है।
किसानों को पैदावार, टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग से मिली नई राह
एक थ्री-एस स्ट्रेटेजी एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के लिए अपनानी होगी। एक ऐसी स्ट्रेटेजी विश्व के लिए जो स्मार्ट हो, जो सस्टेनेबल हो जो सभी को सर्व कर पाए। स्मार्ट के क्षेत्र में ड्रोन की टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करके की जा सकती है। कृषकों के लिए जहां एक तरह सहूलियत हो रही है, स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल रही है वहीं दूसरी तरफ उत्पादन में बढोतरी हो सकती है। सस्टेनेबल में एक-एक किसान को पैदावार बढ़ाने के लिए क्षमता, टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग के लिए इनपुट्स ये बजट के आवंटन के आधार पर भी हम लोग कर पाए हैं।
भारत के मोटे अनाज की संस्कृति के रूप में ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’
उन्होंने कहा यह वर्ष ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’ संयुक्त राष्ट्र के द्वारा प्रधानमंत्री के आह्वान पर घोषित किया गया है। भारत की पुरानी विरासत तथा हजारों साल पुरानी मोटे अनाज की संस्कृति का लाभ डाइट्री तरीके से, पर्यावरण के तरीके से एक-एक मनुष्य को मिल पाए। जो चर्चाएं यहां की गई है और जो निचोड़ निकलेगा, उस आधार पर भारत व सारे जी-20 के देश एक साथ मिलकर विश्व को एक नया रास्ता व रोड मैप कृषि के क्षेत्र में देंगे।
मांडू किले का भ्रमण करेंगे
उधर, तीसरा दिन AWG के प्रमुख डिलिवरेबल्स पर विचार-विमर्श के लिए समर्पित होगा। यह एक तकनीकी सत्र होगा जिसमें सभी संबंधित सदस्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से चर्चा और भागीदारी होगी। प्रदेश के चार किसानों की भी सहभागिता रहेगी जिन्होंने ऑर्गेनिक खेती सहित कृषि के क्षेत्र में नए-नए आयाम दिए हैं, यह प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया जाएगा। इसके साथ ही मांडू किले का भ्रमण कराया जाएगा जिससे उन्हें समृद्ध भारतीय इतिहास का अनुभव प्राप्त होगा। मेहमान गाला डिनर और सांस्कृतिक प्रदर्शन भारतीय व्यंजनों और संस्कृति का स्वाद प्रदान करेंगे। आखिरी दिन मेहमानों का भोजन होटल मैरिएट में होगा।