महा शिवरात्रि। इस दिन लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन रहेंगे। भगवान शिव दूल्हा बनेंगे। पार्वती संग ब्याह रचाएंगे। यह सब कुछ वैसे तो 18 फरवरी को शिवरात्रि पर होगा, लेकिन दतिया में हाल ही में हुआ एक विवाह चर्चा का विषय बना हुआ है। हो भी क्यों ना, विवाह ही अनोखा है। यहां MBA पास 24 साल की युवती ने भगवान शिव के साथ ब्याह रचाया है। विवाह भी पूरे विधि-विधान से हुआ।
इसकी शुरुआत करते हैं शादी से…
दतिया का हड़ापहाड़ क्षेत्र।
स्थान – हैरिटेज गार्डन।
वधु पक्ष – चौरसिया परिवार।
दिन – रविवार।
हैरिटेज गार्डन फूलों से सजा है। लोगों का आना-जाना लगा है। गेट पर ही निकेता संग शंकर लिखा बोर्ड लगा है। इसमें चौरसिया परिवार आने वालों का स्वागत करते नजर आ रहा है। गार्डन में डीजे के बीच डोल और मंगल गीत सुनाई दे रहे हैं।
अब हम चलते हैं दूसरे स्थान पर…
यह स्थान है बड़े बाजार में कनकने की गली में स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी आश्रम। यहां भगवान शंकर दूल्हे की तरह सज चुके हैं। गेट के बाहर बाराती तैयार हैं। बैंड बाजे वाले भी अलग-अलग गीतों से समां बांध रहे हैं। थोड़ी देर बाद दूल्हा बने भगवान शिव को बाहर लाया जाता है। बारात टाउन हॉल से प्रारंभ होकर किलाचौक, बिहारी जी मंदिर, गांधी रोड, राजगढ़ चौराहा, सीतासागर, पुरानी कलेक्टोरेट होते हुए हैरिटेज गार्डन पर पहुंची। करीब चार किमी लंबी बारात निकाली गई। यहां भगवान भोलेनाथ के साथ निकेता का प्रभु समर्पण कार्यक्रम के साथ सम्मान समारोह हुआ।
निकेता का जन्म 1997 में दतिया के हड़ापहाड़ क्षेत्र में रहने वाले चौरसिया परिवार में हुआ। पिता का नाम विजय चौरसिया और मां का नाम राखी है। निकेता दो भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। भाई कुणाल छोटा है। निकेता के पिता विजय का पान सदन है। उनका परिवार प्रजापिता ब्रह्मकुमारी आश्रम से जुड़ा है।
निकेता ने बताया कि वर्ष 2002 में सरस्वती स्कूल में पढ़ती थी। स्कूल के सामने ही ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय है। पापा-मम्मी आश्रम जाया करते थे। अवकाश के दिन मैं भी उनके साथ आश्रम जाने लगी। मुझे वहां अच्छा लगता था। धीरे-धीरे यहां शिक्षा और गुणों के बारे में सीखा। मेरी उम्र जरूर छोटी थी, लेकिन मुझे सीखने को बहुत कुछ मिल रहा था। यहां मुझे राधा-कृष्ण, देवी बनकर झांकी में शामिल होने का मौका भी मिला। यह झांकी दतिया शहर में घूमती थी। इसके बाद 5वीं से लेकर 10वीं तक मैंने ब्रह्मकुमारी के इंदौर स्थित शक्ति निकेतन हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। इसके बाद दतिया लौटकर आगे की शिक्षा ग्रहण की। ब्रह्मकुमारी से ही वैल्यू एजुकेशन का कोर्स किया, जिसके तहत मैंने एमबीए किया।
लोग कहते हैं कि बाहर की दुनिया का संग का रंग कैसा होता है। इसकी मुझे जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि बचपन से ही ईश्वर का संग मेरे जीवन में आ गया। जब यह संग मेरे जीवन में आ गया, तो बाहर का रंग मेरे जीवन में लगा ही नहीं। मेरा प्रेम सबसे हटकर ईश्वर से जुड़ गया। जब उससे प्रेम जुड़ गया, तो सोचा किसी और को साथी बनाने से अच्छा ईश्वर को ही क्यों ना अपना साथी बना लिया जाए। किसी और को साथी बना तो लिया, लेकिन हम उस पर कितना यकीन करें, यह तय नहीं। परमात्मा एक सच्चा साथी, सच्चा साजन, प्रीतम बनता है, जो जीवन की बागडोर सदैव थामकर रखता है। कोई और मेरी डोर छोड़ भी देता, लेकिन परमात्मा डोर नहीं छोड़ता।
विवाह से पहले यह जीवन मेरा स्वयं का था। विवाह के बाद अब यह जीवन विश्व कल्याण के लिए है। स्वयं का कल्याण किया, तो किया अब विश्वभर का कल्याण करना है। विश्व के कल्याण के साथ-साथ हर एक दुखी आत्मा, अशांत आत्मा को, आज आत्माएं किस तरह भटक रही हैं। मनुष्य कितना दुर्गति की ओर जा रहा है। उप सभी को सद्गति के मार्ग पर लाना। उनके भीतर गुणों को लाना, प्रगति की ओर ले जाना… यही कार्य मुझे करना है।
टीचर बनना चाहती थी निकेता
निकेता की मां राखी ने बताया कि बेटी टीचर बनकर लोगों को शिक्षित करना चाहती थी। एक दिन हम परिवार के साथ ब्रह्मकुमारी आश्रम गए। यहां दीदी ने कहा- यहां स्वयं परमात्मा पढ़ाते हैं। हम आश्चर्य में पड़ गए। हमने पूछा- परमात्मा पढ़ाते हैं। वह कैसे पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा- आप एक क्लास को पढ़ाएंगी, कुछ बच्चों को पढ़ाएंगी। यहां परमात्मा पूरे विश्व को पढ़ाने के लिए आए हुए हैं। दुनिया दुखों में चल रही है, लोग परेशान हैं। इस दुनिया को इससे मुक्ति दिलाने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना ही होगा। इस पर बेटी ने कहा- मैं इस काम को करूंगी। परमात्मा के संदेश को दुनियाभर में लेकर जाऊंगी। मैं बताऊंगी कि परमात्मा क्या है, कौन है। कब धरती पर आता है? दुनिया को पावन कैसे बनाता है? बेटी ने भी यह प्रण लिया कि वह परमात्मा की सजनी बनकर लोगों के दुखों को दूर करेगी।
मां से कहा- भगवान शिव से करना चाहती हूं शादी
परिवार परिवार के साथ पहुंची। यहां आश्रम की चीफ संतोष दीदी की मौजूदगी रीति-रिवाज से निकेता और भगवान शिव का ब्याह रचाया गया।
पिता ने किया कन्यादान
निकेता की इस अनोखी शादी में उसके पिता विजय चौरसिया ने कन्यादान किया। पिता ने बताया कि धूमधाम से शादी समारोह आयोजित हुआ। इस विवाह से वो बहुत ही खुश हैं। बेटी के इस फैसले का उन्होंने सम्मान किया है। शादी की रस्में बिल्कुल रीति-रिवाजों से निभाई गई, जिसमें आश्रम और अन्य सामाजिक संगठनों से शादी का खर्चा किया गया। दुल्हन निकेता ने पहले विद्वान पंडितों से इसका जिक्र किया और फिर ब्याह रचाया। इसको लेकर पंडितों के द्वारा बेटी को प्राचीनकाल से प्रतिमा विवाह को बताया गया है। समय-समय पर वर्षों से यह चलता आ रहा है। जब तक सृष्टि रहेगी, तब तक चलता रहेगा। यदि कोई भगवान को समर्पित होना चाहता है, तो वह शादी कर सकता है।
शादी जिस प्रकार से होती है, उसी तरह की गई है’
निकेता के भाई कुणाल ने बताया कि बहन ने भगवान भोलेनाथ से विवाह किया है। वो बचपन से ही भगवान की सेवा कर रही है, जिस प्रकार से शादी होती है, ठीक उसी प्रकार से यह विवाह हुआ है। हिन्दू रीति रिवाज और धूमधाम से बहन की शादी संपन्न हुई है। विवाह में 500 से ज्यादा लोग शामिल हुए।
भोपाल में हुई शादी, दतिया में हुआ समर्पण समारोह
निकेता के परिजनों ने बताया कि 26 जनवरी को भोपाल में निकेता की शादी भगवान शिव से ब्रह्मकुमारी आश्रम में हुआ था। रविवार 12 फरवरी को दतिया में निकेता का प्रभु समर्पण कार्यक्रम संपन्न के साथ सम्मान समारोह हुआ। शादी में भात, चीकट, हल्दी, मेहंदी, मंडप आदि सभी कार्यक्रम हुए थे। इस दौरान आश्रम की दीदियों के साथ परिचित और रिश्तेदार शामिल हुए।