मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में सड़कों एवं बाहर घूमते हुए गौ-वंश न दिखे। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बना कर गौ-शालाओं का निर्माण पूरा किया जाए। सेवा के भाव से गौ-शालाएँ तैयार करने के लिए लोग आगे आएँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में गौ-संवर्धन बोर्ड की समीक्षा कर रहे थे।
मध्यप्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस सहित संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बाहर घूमते गौ-वंश के कारण लोगों को असुविधा नहीं हो, इसके लिए प्रयास किए जाना जरूरी हैं। सालरिया गौ-अभयारण्य को सफलता प्राप्त हुई है। सालरिया गौ-अभयारण्य की तरह अन्य स्थानों पर भी प्रयोग शुरू किए जाएँ। उन्होंने जबलपुर में यह प्रयोग करने के निर्देश दिए। अन्य प्रस्तावों का परीक्षण भी किया जाए। बसामन मामा में भी गौ-वंश रखे जाने का मॉडल सफल है। बाकी जगह भी प्रयोग किए जाएँ। शर्तें पूरी होने पर गौ-शालाओं को खोलने की अनुमति दी जाए। मृत गौ-वंश एवं अन्य प्राणियों का सम्मान के साथ निष्पादन किया जाए। गौ-तस्करों पर नज़र रखी जाए। गाय का गोबर और गौ-मूत्र से कई तरह के उत्पाद बनते हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गौ-शालाओं को विभिन्न उत्पादों की बिक्री के द्वारा आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए। वेस्ट-टू-बेस्ट के सिद्धान्त को अपनाया जाए। पशुपालक अपने गौ-वंश को बांध कर रखें, बाहर न छोड़ें। गौ-उत्पादों की खरीदी के लिए कार्य-योजना बने।
बताया गया कि प्रदेश में पशु संगणना 2019 के अनुसार 1 करोड़ 87 लाख गौ-वंश हैं। प्रदेश में कुल निराश्रित गौ-वंश 8 लाख 54 हजार हैं। निराश्रित गौ-वंश के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग 1 लाख 84 हजार गौ-वंश हैं। मनरेगा में निर्मित 1 हजार 135 गौ-शालाओं में 93 हजार गौ-वंश हैं। साथ ही 1995 गौ-शालाएँ निर्माणाधीन एवं संचालन के लिए तैयार हैं। इनकी क्षमता 2 लाख गौ-वंश की है। शेष 5 लाख 60 हजार गौ-वंश की व्यवस्था की जाना है।