नई दिल्ली: ठंडी हवाओं ने दिल्ली-एनसीआर को गर्मी से थोड़ी राहत जरूर दी है। हालांकि, मौसम का मिजाज बता रहा है कि यह राहत क्षणिक है। अगले कुछ दिनों में तापमान थोड़ा और बढ़ेगा। दिल्ली समेत उत्तर भारत में मौसमी फैक्टर्स बदल रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सीनियर साइंटिस्ट आरके जेनामणि बताते हैं कि अगले कुछ दिन ऐसा ही मौसम रहेगा। गर्मी का प्रकोप इतना तगड़ा दिख रहा है कि मार्च में ही लू झेलनी पड़ सकती है। प्री-मॉनसून सीजन मार्च से शुरू हो जाता है। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के अनुसार, इस बार गर्मी जल्द शुरू हुई है। मार्च का महीना भी खासा गर्म रहने वाला है। ऊपर से बारिश का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। गर्मी तो एक बात, फसल को भी नुकसान हो रहा है। गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। जो राज्य गेहूं उपजाते हैं, वहां फरवरी में सूखे जैसे हालात रहे। इससे चिंता और बढ़ गई है।
जेनामणि ने कहा कि दिल्ली के मौसम में बड़ा दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है। बुधवार को सुबह में अच्छा-खासा कोहरा था और उसकी वजह से पारा काबू में रहा। गुरुवार को हवाओं ने कोहरा साफ कर दिया और दिन के वक्त तापमान को भी बढ़ने से रोका। अगले कुछ दिन ऐसा ही मौसम रह सकता है लेकिन तापमान में हल्की बढ़ोतरी होगी। 1 मार्च तक दिल्ली में अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
देश में 1 जनवरी के बाद से 39% कम बारिश हुई है। फरवरी में तो हालात और बुरे रहे। बढ़ती गर्मी के पीछे यह भी एक वजह है। गेहूं उपजाने वाले प्रमुख राज्यों में सूखे जैसे हालात हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फरवरी के महीने में 99-100% कम बारिश दर्ज की गई। गेहूं की फसल के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। किसानों ने कहा कि समय पर बारिश से न सिर्फ तापमान नीचे आता है, बल्कि रबी की फसलों के लिए सिंचाई भी कम करनी पड़ती है।
1 फरवरी से 23 फरवरी के बीच IMD का बारिश वाला डेटा दिखाता है कि ईस्ट और वेस्ट यूपी, बिहार, राजस्थान, पूर्व और पश्चिमी एमपी में बारिश हुई ही नहीं। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में औसत से 99% कम बारिश दर्ज की गई। आमतौर पर उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में ठीकठाक बारिश होती है। जेनामणि के अनुसार, फरवरी में उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में ओले पड़ते हैं, वह भी इस साल नहीं हुआ।