कुछ दिनों पहले ग्वालियर में एक महिला सब इन्सपेक्टर ने एक वृद्ध को CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिस्यूसिटेशन) देकर उसकी जान बचाई थी, लेकिन मुरैना पुलिस के अधिकारियों व आरक्षकों को CPR देना नहीं आता है। लिहाजा ADG राजेश चावला के नेतृत्व में मुरैना के पुलिस परेड ग्राउण्ड में जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों को बुलाया गया जहां उन्होंने निरीक्षकों व आरक्षकों को बताया कि राहगीर को कार्डियक अरेस्ट आने पर कैसे CPR देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।
बता दें, कुछ दिनों पहले ग्वालियर में एक अधेड़ को उस वक्त कार्डियक अरेस्ट का अटैक पड़ा था, जब वह किसी काम से घर से बाजार जा रहा था। उसी दौरान एक महिला सब इन्सपेक्टर ने उनको CPR देकर व मुंह से सांस देकर उनकी जान बचाई थी। ग्वालियर महिला पुलिस की इस सब इन्सपेक्टर की तारीफ जब मीडिया ने छापी तो पुलिस विभाग भी पीछे नहीं रहा तथा विभाग ने उसको इस काम के लिए सम्मानित किया था। उसके बाद पुलिस विभाग को यह महसूस हुआ कि क्यों न सभी मैदानी अधिकारियों व कर्मचारियों को CPR देने के लिए ट्रेनिंग दी जाए, जिससे जरूरत पड़ने पर कार्डियक अरेस्ट के मरीजों की जान बच सके। इसी विचार के मद्देनजर मुरैना में भी शनिवार को पुलिस परेड ग्राउण्ड में ADG राजेश चावला के नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जिला चिकित्सालय के डाक्टरों को बुलाया गया जिन्होंने मंच पर एक पुतले पर CPR देने का प्रयोग करते हुए पुलिस के अधिकारियों व आरक्षकों को CPR देने की ट्रेनिंग दी।
हर उम्र के बच्चे को अलग तरह से दें CPR
इस मौके पर जिले के CMHO डॉ. राकेश शर्मा ने कार्यक्रम में मौजूद पुलिस अधिकारियों व आरक्षकों को बताया कि एक साल के बच्चे को CPR कैसे देनी है, एक से 5 साल तक के बच्चे को CPR कैसे देनी है तथा बड़े व्यक्ति को CPR कैसे देना है।
इस प्रकार बच्चों को दी जाती CPR
सीपीआर में बच्चे की उम्र का विशेष ख्याल रखा जाता है। इसमें एक वर्ष तक के नवजात को अंगूठी द्वारा सीपीआर दी जाती है तथा मुंह से सांस दी जाती है। जिससे उसकी सांस वापस आ जाती है। एक साल से बड़े बच्चे को दो अंगूठों से CPR दी जाती है। इस प्रक्रिया से बच्चों के शरीर में सांस पहुंचाई जाती है।
इन केसों में बच्चों को दी जाती CPR
- बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने पर।
- हवा के लिए तड़पने पर।
- छूने के बाद भी कोई रिस्पांड न करने पर।
- कोई गतिविधि न करने पर।
- अलर्ट न रहने की स्थिति में।
- कोई अचानक से लगी चोट से बच्चे के शरीर का फंक्शन करना बाधित होने पर।
- जब बच्चा किसी बड़ी साइज की चीज को मुंह में लेने की कोशिश कर रहा हो, वह उसके एयर वे में अटक जाती है, तो भी सीपीआर की जरूरत पड़ सकती है। चॉकिंग से बच्चे के फेफड़ों में हवा का फ्लो नहीं पहुंच पाता है।
- डूबने की स्थिति में भी बच्चे के फेफड़ों में पानी भर सकता है, इस स्थिति में उसे तुरंत सीपीआर की जरूरत पड़ती है।
- बिजली का शॉक लगने के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- कई बार ज्यादा इन्फेक्शन होने पर भी बच्चे को सीपीआर की जरूरत पड़ सकती है।
इस प्रकार दी जाती CPR
- बच्चे को एक फ्लेट सर्फेस पर लिटा दें। इसके बाद बच्चे की ब्रेस्ट बोन पर दो अंगुलियां रखें। बच्चे को तेजी से 30 कंप्रेशन दें। जोर से छाती को दबाएं, ताकि वह डेढ़ इंच नीचे जा सके। एक मिनट में 100 से 120 चेस्ट कंप्रेशन चाहिए। यह जरूर ध्यान रखें कि बीच में बच्चे की छाती वापिस से सामान्य हो रही हो। इसके बाद बच्चे के माथे पर हाथ रखें और उसके सिर को थोड़ा सा हिलाएं। इसके बाद अपने मुंह को बच्चे के नाम पर रखें, ताकि भाग सील हो जाए और फिर दो ब्रीथ थें।
बड़ों को इस प्रकार दें CPR
बड़े लोगों, अधेड़ व बुजुर्गों को अलग प्रकार से CPR दी जाती है। इसमें एक मिनट में 100 से 120 बार छाती को बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने दें। CPR की इस विधि को हैंड्स ओनली, कहा जाता है और इसमें व्यक्ति के मुंह में सांस देना शामिल नहीं होता है। जब छाती दबाने से भी सांस नहीं आती है तो पीड़ित को मुंह से सांस देकर भी CPR दी जाती है। इसमें सांस देने के बाद अगर सांस सीने में जा रही है, सीना ऊपर उठ रहा है तो उस सांस को बाहर निकलने दें और फिर दूसरी बार सांस दें। अगर सांस सीने तक नहीं पहुंच रही है तो मरीज के सिर को थोड़ा पीछे करें और फिर से सांस दें। ऐसा 30 बार हाथों से CPR देने के बाद दो बार मुंह से CPR देना जारी रखा जा सकता है।