इस्लामाबाद : पाकिस्तान में आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं लेकिन पाकिस्तान के संकट की तुलना श्रीलंका से नहीं की जा सकती। अपनी भू-रणनीतिक कमजोरियों के चलते पाकिस्तान के श्रीलंका की तुलना अफगानिस्तान में बदलने की संभावना अधिक है। मई 2022 में, श्रीलंका इतिहास में पहली बार कर्ज चुकाने में विफल हो गया। यह उसकी अर्थव्यवस्था के पतन का संकेत था। वहीं पाकिस्तान में, आर्थिक कुप्रबंधन के बीच इमरान खान को इस्तीफा देकर प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
विदेशी पैसा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान कई दशकों से विदेशी पैसे पर निर्भर हैं। अतीत में हम देख चुके हैं कि विदेशी पैसे ने ही पाकिस्तान को आर्थिक संकटों से बाहर निकाला। अफगानिस्तान से 2021 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से डॉलर आना बंद हो गए। पैसों की कमी और अमेरिका के पीछे हटने से अफगानिस्तान की सरकार न ही तालिबान से लड़ने में सक्षम थी और न देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में।
लिहाजा तालिबान ने अगस्त 2021 में सत्ता पर कब्जा कर लिया। हालांकि पाकिस्तान के पास अफगानिस्तान से ज्यादा मजबूत सेना है। देश आईएमएफ के साथ बातचीत कर रहा है और उसे उम्मीद है कि वह 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज हासिल कर लेगा। वहीं चीन ने भी पाकिस्तान को 70 करोड़ डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है। लेकिन संकट का अंत अभी दूर है।
सत्ता के भूखे आतंकवादी
अफगानिस्तान पर वर्तमान में अफगान तालिबान का कब्जा है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में मौजूदा आर्थिक संकट का इस्तेमाल पाकिस्तानी तालिबान (TTP) कर रहा है, जिसकी जड़ें भीतर ही भीतर अफगान तालिबान से जुड़ी हुई हैं। पहले उसने सीजफायर खत्म करने का ऐलान किया और अब भयानक हमलों में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को निशाना बना रहा है। पाकिस्तान ने टीटीपी पर काबू पाने के लिए अफगान तालिबान के पास अपने दूत भेजे हैं, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में शरियत के अनुसार इस्लामिक शासन की स्थापना करना है।