बीजिंग : चीन के विदेश मंत्री चिन गांग इस सप्ताह भारत की यात्रा करेंगे और दो मार्च को जी-20 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। दौरे के दौरान वह विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक भी कर सकते हैं। पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्री और ‘स्टेट काउंसलर’ वांग यी की जगह लेने के बाद चिन की यह पहली भारत यात्रा होगी। वर्ष 2019 में सीमा प्रबंधन तंत्र के विषय पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में शामिल होने के लिए वांग यी ने नयी दिल्ली की यात्रा की थी। वांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल विशेष प्रतिनिधि थे।
‘वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हो जी-20 का ध्यान’
माओ ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में यह महत्वपूर्ण है कि जी-20 वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करे तथा वैश्विक आर्थिक सुधार और विकास की दिशा में एक बड़ी भूमिका निभाए।’ उन्होंने कहा कि चीन यह सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने को तैयार है कि जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक बहुपक्षवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा तथा विकास सहयोग पर सकारात्मक संदेश भेजे। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध होने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में लगभग ठहराव आ गया है। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों ने सैन्य कमांडर स्तर की 17 उच्च स्तरीय वार्ता की है।
जी-20 की बैठक क्यों अहम?
भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत ने पिछले साल एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता संभाली। जी-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की आबादी के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं तथा यूरोपीय संघ भी इसका हिस्सा है।