मध्यप्रदेश पुलिस में 20,000 से ज्यादा जवानों की कमी है। 4 साल के इंतजार के बाद नवंबर 2022 में 6000 जवानों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई थी, लेकिन ट्रेनिंग करीब 3 माह देरी से 20 फरवरी से शुरू हो पाई। जबकि ये जवान 3 महीने पहले ही जॉइनिंग देकर वेतन भत्ता ले रहे थे। सरकार इन्हें एक समारोह कर मुख्यमंत्री के हाथों फिर नियुक्ति पत्र देना चाहती थी। इससे देरी हुई। समारोह 27 जनवरी को हुआ। देरी का नुकसान इंदौर को अधिक होगा, क्योंकि 10 महीने की ट्रेनिंग के बाद इंदौर को सबसे ज्यादा 1061 नए कांस्टेबल मिलना हैं।
भर्ती प्रक्रिया जनवरी 2022 में शुरू हुई थी। नवनियुक्त कांस्टेबलों को आमद देने के तत्काल बाद 10-11 महीनों के लिए प्रदेश के 7 पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों मे भेजा जाना था। प्रदेश में 5 में से एक पुलिसकर्मी का पद खाली है। केंद्र के मापदंडों के अनुसार हर पुलिस कर्मी पर औसतन 512 व्यक्तियों की सुरक्षा का जिम्मा होना चाहिए। लेकिन मध्यप्रदेश में हर पुलिसकर्मी पर लगभग 800 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
अधिकारी सच स्वीकारने से बच रहे
अधिकारी ट्रेनिंग में देरी तो स्वीकार रहे हैं। लेकिन इसके पीछे नियुक्ति पत्र वितरण समारोह मे देरी के सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं। गौरतलब है प्रदेश में कांस्टेबल ट्रेनिंग के लिए इंदौर, उज्जैन, तिघरा, पचमढ़ी, उमरिया, रीवा, सागर मिलाकर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और कॉलेज हैं। ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा और इन्दौर में एसएएफ के भी ट्रेनिंग सेंटर हैं।
केंद्र ने शुरू की नई परंपरा
केंद्र सरकार ने नवंबर 2022 में समारोह पूर्वक फिर से नियुक्ति पत्र दिए जाने की परंपरा की शुरुआत की थी। इसमें नौकरी पाने वाले वह युवा भी शामिल थे जो पहले से ही सरकारी नौकरी कर रहे थे। इंदौर-भोपाल में कमिश्नर सिस्टम लागू तो किया पर स्टाफ नहीं दिया। अन्य जिलों से जवान भेजे गए।
- 6000 जवानों की हुई थी भर्ती
- 1061 जवान मिलेंगे इंदौर को
- 1031 कांस्टेबल भोपाल को मिलेंगे
- 7000 नई भर्तियां होनी हैं इसी वर्ष
- 1.20 लाख स्वीकृत पद हैं प्रदेश में पुलिस के
- 90 हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं फिलहाल