मध्यप्रदेश की राजधानी को एक और वन विहार की सौगात मिलने जा रही है। भोपाल फॉरेस्ट सर्किल ने इसका प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया है। इस प्रोजेक्ट को वन विहार फेस-2 भोपाल-सीहोर कंजर्वेशन रिजर्व नाम दिया गया है।
इसमें भोपाल वन मंडल में घूम रहे 18 बाघों के इलाकों को भी शामिल किया गया है यानी फेस-2 में बाघों को नया कॉरिडोर भी मिल जाएगा। इसमें सीहोर और भोपाल वन मंडल का कुल 12551 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया गया है। यदि शासन इस कंजर्वेशन प्लान को नोटिफाई करता है तो भोपाल से सिंघोरी तक बाघों का बड़ा कॉरिडोर तैयार हो जाएगा, जिसमें बाघों की पहुंच नौरादेही और पन्ना टाइगर रिजर्व तक हो जाएगी।
- वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने नई सेंचुरी के लिए भेजा प्रस्ताव, अभी यहां छोटे झाड़ का जंगल
- इसलिए बना रहे… इंसान और बाघों के बीच संघर्ष रुके, जंगलों पर अवैध कब्जे न हों
सबसे ज्यादा एरिया सीहोर का, भोपाल का राजस्व का इलाका भी जोड़ा
वन विहार फेस-2 प्रोजेक्ट पर साल 2010-11 से काम चल रहा है। इसकी पहल तत्कालीन सीसीएफ एसएस राजपूत ने की थी। प्रस्तावित नई सेंचुरी में दौलतपुरा, चिचली सहित 25 से ज्यादा गांव को शामिल किया जाएगा। इसमें सीहोर वन मंडल का 7083.976 हेक्टेयर, भोपाल वन मंडल वन क्षेत्र का 5146.923 हेक्टेयर और भोपाल वन मंडल का 320.970 हेक्टेयर राजस्व इलाका शामिल रहेगा। इस इलाके में सीपीए ने प्लांटेशन किया था।
राजस्व वन की ज्यादातर जमीन पर अभी अतिक्रमण, संरक्षित वन में इंसानी दखल
भोपाल सर्किल के सीसीएफ राजेश खरे के दिशा निर्देश पर सीहोर वन मंडल डीएफओ अनुपम सहाय और भोपाल वन मंडल के डीएफओ आलोक पाठक ने इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है। अभी इन इलाकों में बाघों की पहुंच इंसानी क्षेत्रों में हो रही है। बाघों को सुरक्षित ठिकाना मिले, इसलिए प्रोजेक्ट बनाया है। वहीं राजस्व इलाके में हो रहे अतिक्रमण को रोका जा सकता है। इस सेंचुरी के प्लान में केवल संरक्षित वन और राजस्व वन को शामिल किया गया है।