डिंडौरी की लहरी बाई मोटे अनाजों (मिलेट्स) की 60 से ज्यादा किस्मों के बीज सहेजे हुए हैं। मूलतः डिंडोरी जिले के बजाग तहसील की रहने वाली 27 साल की लहरी बाई आदिवासियों को मोटे अनाज के मुफ्त बीज देकर उनका इस्तेमाल बढ़ाने की मुहिम चला रही हैं। इंदौर में हुए जी-20 सम्मेलन में उन्हें मिलेट्स संरक्षण के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया गया।
लहरी बाई की इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी सराह चुके हैं। लेकिन, लहरी बाई को सरकार से शिकायत भी है। उनका कहना है कि उनके पास जमीन नहीं है। खेती वन विभाग वाले उजाड़ देते हैं।
बैगा लहरी बाई जबलपुर के जवाहरलाल नेहरु कृषि विद्यालय में मोटे अनाजों पर आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने जबलपुर पहुंची हुई हैं। यहां उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय परिसर में अपना स्टॉल भी लगाया है। लहरी बाई के स्टॉल में कोदो, कुटरी, रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज सहित कई ऐसे अनाजों के भी बीज हैं, शायद ही हो कि आपने इनका नाम सुना हो।
माता-पिता के साथ घूम-घूमकर मोटा अनाज जमा किए
बैगा आदिवासी लहरी बाई ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा, जब मोटे अनाजों की खेती बंद होने लगी तो मेरे परिवार ने इनके बीज सहेजने का संकल्प लिया था। माता-पिता के साथ मिलकर डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, उमरिया, अनूपपुर में घूम-घूमकर 60 प्रजाति के मोटे अनाजों के बीज सहेज कर इसका बैंक बनाया। आदिवासियों को मुफ्त बीज देती हूं और बदले में उनकी उपज का सिर्फ एक किलो अनाज लेती हूं। चाहती हूं कि देश में मोटे अनाजों की खेती और इस्तेमाल बढ़े, ताकि लोग तंदरुस्त रह सकें।
5वीं तक पढ़ी हैं लहरी बाई
लहरी बाई सिर्फ 5 क्लास तक ही पढ़ी है। बावजूद, इसके आज इनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मुरीद हैं। लहरी बाई कई जिलों में घूम-घूमकर कई किस्म की कोदो, कुटकी, कांग को इकट्टा किया है। देश भर में मोटे अनाज (मिलेट्स) की किस्म जितनी लहरी बाई के पास है, उतनी शायद ही किसी के पास हो। यही वजह है कि मोटे अनाज के संरक्षण करने के लिए हाल ही में इंदौर में संपन्न हुई जी-20 सम्मेलन में लहरी बाई को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया और उनसे मिलने के लिए विदेश से आए मेहमानों को भी लाइन लगानी पड़ी।
सरकार से शिकायत, हमारे पास जमीन नहीं, वन विभाग खेती नष्ट कर देता है
लहरी बाई को सरकार से शिकायत है। उनका कहना है कि मोटे अनाज को पैदा करने और संरक्षण देने के लिए सरकार भले ही हमारी तारीफ कर रही है, पर सरकार यह भी देखे कि जब हमारे पास जमीन नहीं होगी, तो हम मोटे अनाज को कैसे पैदा करेंगे। सरकार ने जो उपलब्धि दी है, उसे पाकर अच्छा तो लगता है, पर दुख भी है, क्योंकि वन विभाग वाले आकर हमारी खेती को नष्ट कर जाते हैं। अगर हमारे पास जमीन होगी, तो हम ज्यादा से ज्यादा कोदो, कुटकी और कांग पैदा कर सकते हैं, पर वन विभाग हमें पट्टा देता नहीं है। लहरी बाई ने शिवराज सरकार से मांग की है कि उन्हें जमीन का पट्टा दिलवा दें, जिससे कि वे कोदो, कुटकी पैदा कर सकें।
समाज सेवी लड़ रहे बैगा आदिवासियों की लड़ाई
लहरी बाई सहित सैकड़ों बैगा आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा दिलाने के लिए मध्यप्रदेश के एक समाजसेवी बीते कई सालों से काम कर रहें है, जिनका नाम है नरेश विश्वास। समाज सेवी नरेश विश्वास बताते हैं कि वह बीते 25 सालों से बैगा आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसी दौरान उन्होंने इस मिलेट्स बैंक की नींव लहरी बाई के पिता के साथ रखी थी। नरेश विश्वास बताते हैं कि बैगा आदिवासियों के साथ वन विभाग का व्यवहार बहुत ही खराब रहता है। बैगा आदिवासी जब कभी जंगल की जमीन पर अपनी बेशकीमती फसलों को बोते हैं, तो वन विभाग इनकी फसलों को नष्ट कर देता है। इसलिए अब सरकार से वन अधिकार पट्टा के लिए लड़ाई लड़ने की तैयारी की जा रही है। नरेश विश्वास बताते हैं कि बैगा आदिवासी जब पढ़े-लिखे नहीं हैं, तो फिर क्यों इनसे जमीन के दस्तावेज मांगे जाते हैं।
बैगा आदिवासियों के लिए कई सालों से काम कर रहे नरेश विश्वास ने राज्य सरकार से भी कई तरह के सवाल किए हैं, उनका कहना है कि लहरी बाई को बीजों के संरक्षण के लिए सम्मान सरकार ने दिया है लेकिन कभी यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि आखिरकार जमीन ना होने के बावजूद भी लहरी बाई ने कैसे मोटे अनाज के बीजों को उगाया। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि लहरी भाई के पास जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं है, इसके बावजूद भी उन्होंने 60 किस्म के मोटे अनाजों को पैदा कर इसका बैंक बनाया।
मिलेट्स उत्पादन में एमपी दूसरा राज्य
मिलेट्स उत्पादन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद देश में दूसरे नंबर पर है। मिलेट्स यानी मोटे अनाज को सुपर फूड भी कहा जाता है, जो पोषक तत्वों का खजाना हैं। केंद्र सरकार ने इसे श्रीअन्न का तमगा देकर इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है। ऐसे में लहरी बाई मिलेट्स उत्पादन बढ़ाने की दिशा में रोल मॉडल की तरह काम कर रही हैं। लहरी बाई बैगा के पास मोटे अनाजों में स्ल्हार, काटा स्ल्हार, एडी सल्हार, बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, डोंगर कुटकी, लाल डोंगर, सिताहि कुटकी, बिरनी कुटकी, लालमडिया सहित 60 किस्म के मोटे अनाज है जो कि लहरी बाई बैगा ने संरक्षित करके रखा है। उन्होंने बताया कि इन मोटे अनाजों को केवल संरक्षित कर लेना ही बड़ी बात नहीं होती है बल्कि इन के आयुर्वेदिक गुण और इनको इस्तेमाल करने के तरीका भी बैगा आदिवासियों का कई सालों पुराना ज्ञान है जो कि आज लहरी बैगा आदिवासी की वजह से ही समाज तक पहुंच रहा है।
पीएम ने ट्वीट कर की थी तारीफ
पीएम मोदी ने बीते दिनों विलुप्त होते मोटे अनाजों के बीज सहेजने वाली लहरी बाई की सराहना की थी। उनकी तारीफ में ट्वीट भी किए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके इस प्रयास के कायल हैं। सीएम ने लहरी बाई की प्रशंसा करते हुए कहा था- बहन लहरी बाई मोटे अनाजों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व काम कर रही हैं। प्रदेश का गौरव बढ़ा है।