नई दिल्ली: पाकिस्तान ऐसा पड़ोसी मिला है कि मानता नहीं। बार-बार मुंह की खाई लेकिन कश्मीर को हड़पने की हसरत अभी पाले हुए है। पाकिस्तान के नेताओं का भारत के खिलाफ बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा बोल गए। एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा महिला, शांति और सुरक्षा पर हो रही थी लेकिन बिलावल कश्मीर राग अलापने लगे। पाकिस्तान के नेता ऐसा ही करते आए हैं। कुछ भी नहीं बदला है। भारत ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। UNSC डिबेट में भारत ने कहा कि ऐसे झूठे प्रॉपगेंडा का जवाब देना भी बेकार है। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बिलावल के कश्मीर राग को आधारहीन और राजनीति से प्रेरित बताया। वैसे, बिलावल का बार-बार संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत के खिलाफ उबलने का एक और कनेक्शन है। उनके नाना और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो। जी हां, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल को भारत विरोधी ‘जहर’ विरासत में मिला है। 18 साल की उम्र में वह पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बन गए। सियासत की सीढ़ियां चढ़ते गए और जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने तो अपने नाना के पदचिन्हों पर चलना शुरू कर दिया।
वो साल था 1971, तब जुल्फिकार भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे। उसे एहसास हो गया था कि अब पूर्वी पाकिस्तान नहीं बचने वाला। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठकर जुल्फिकार इतना भड़के कि दस्तावेज ही फाड़ डाला। उन्होंने ‘भारत के आक्रमण’ को संयुक्त राष्ट्र की ओर से मान्यता देने का आरोप लगाया था। 15 सितंबर 1971 एक अहम दिन था। याह्या सरकार ने कह दिया कि ईस्ट पाकिस्तान में स्थिति बेहद नाजुक है। काफी समय तक खबरों पर सेंसर रहा लेकिन अब पाकिस्तान में खलबली मच चुकी थी। लोग हर अपडेट के साथ नर्वस हो रहे थे। ठीक इसी दिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के अनुरोध पर बैठक बुलाई गई। भुट्टो ने काफी आवेश में स्पीच दी। यह उनका तीसरा संबोधन था। बताते हैं कि एक शाम पहले भुट्टो को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर ने सलाह दी थी कि अगले 48 घंटे अहम होने वाले हैं और केवल फर्जी बयानबाजी से पाकिस्तान नहीं बचने वाला है। तब अमेरिका ने भरोसा दिया था कि वह पश्चिमी पाकिस्तान को भारत के किसी भी हमले से बचाएगा। पाकिस्तान रूस-भारत की दोस्ती से भी बौखलाया था। बांग्लादेश बनने का रास्ता अगले कुछ घंटे में साफ होने वाला था।
ऐसे वक्त में जब जुल्फिकार भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में बोलने लगे तो उनकी हताशा साफ देखी गई। उन्होंने बांग्लादेश के साथ कश्मीर मुद्दा उठाते हुए घेरने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान के प्रॉपगेंडे में कोई देश नहीं आया। खुद को अलग-थलग देख विदेश मंत्री जुल्फिकार भड़क गए थे। उन्होंने कह दिया कि यूएन में पाकिस्तान के साथ पक्षपात हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘कल मेरे 11 साल के बेटे ने कराची से मुझे फोन किया और उसने कहा कि सरेंडर पर राजी होकर पाकिस्तान मत आइएगा। मैं संयुक्त राष्ट्र से भी सरेंडर के दस्तावेज नहीं चाहता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद फेल रहा है। 4 दिन से मैं बात रख रहा हूं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सब वेट कर रहे हैं कि ढाका कब टूटकर अलग हो जाए… क्या होगा अगर पूरा ढाका चला जाए, पश्चिमी पाकिस्तान चला जाए तो हम नया और ताकतवर पाकिस्तान बनाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने दूरदर्शिता का परिचय नहीं दिया।’
कुर्सी पर बैठे एक हाथ के इशारे से जुल्फिकार गुस्से में बोल रहे थे। आखिर में उन्होंने आवेश में कहा, ‘हम वापस जाकर लड़ाई लड़ेंगे… मैं अपना समय यहां क्यों बर्बाद करूं। मैं जा रहा हूं।’ यह कहते हुए उन्होंने प्रस्ताव फाड़ दिया गया। उस समय सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हो रहा था
पाकिस्तान दो हिस्सों में टूट गया लेकिन पाकिस्तानी जुल्फिकार अली भुट्टो की स्पीच को आज भी याद करते हैं। बिलावल जब भी भारत के खिलाफ आवेश में आते हैं तो पाकिस्तानियों को उनके नाना का वो गुस्सा याद आता है।
खैर, इस बार भी बिलावल को भारत ने खूब सुनाया। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के प्रतिनिधि की गई ओछी, आधारहीन और राजनीति से प्रेरित टिप्पणी को खारिज करती हूं।’ उन्होंने कहा कि ऐसे झूठे प्रॉपगेंडा से उलट हमारा ध्यान सकारात्मक और आगे की सोच वाला होना चाहिए। भारत ने तंज कसते हुए कहा कि हम चर्चा के विषय का सम्मान करते हैं और समय के महत्व को समझते हैं। हमारा ध्यान विषय पर केंद्रित होना चाहिए।
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