कराची: एक तरफ पाकिस्तान का आर्थिक संकट तो दूसरी तरफ बलूचिस्तान के ग्वादर में होते विरोध प्रदर्शन, देश की सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आखिर गलती कहां पर हो रही है। ग्वादर वह जगह है जो पाकिस्तान को मालामाल कर सकती थी। लेकिन आज यही हिस्सा बदहाली पर रो रहा है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत ग्वादर पर बंदरगाह बन रहा था। साथ ही कई और इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी शुरू हुए। आज सबकुछ अटक गया है और जनता प्रदर्शन पर उतर आई है। सीपीईसी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का फेवरिट प्रोजेक्ट है। मगर अब यह प्रोजेक्ट फेल हो चुका है।
पाकिस्तान की अथॉरिटीज भी इस बात को समझ चुकी हैं कि सीपीईसी पटरी से उतरा चुका है। इसलिए उन्होंने ग्वादर पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। पूरे बलूचिस्तान से आज मीडिया को बाहर रखा जा रहा है। ग्वादर में पिछले कुछ महीनों से प्रदर्शन जारी हैं और यहां की पार्टी हक दो तहरीक की अगुवाई में इन प्रदर्शनों को अंजाम दिया जा रहा है। इस पार्टी के मुखिया मौलाना हिदायत-उर-रहमान हैं और वह एक मछुआरे के बेटे हैं। बलूचिस्तान में सड़कों के किनारे लाशों के ढेर नजर आने के बाद भी किसी ने कोई सवाल नहीं किए। चीन, सीपीईसी के तहत बलूचिस्तान में हाइवे, सड़क और रेल नेटवर्क का निर्माण करना चाहता था। लेकिन कुछ नहीं हो सका।
विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान ने यहां की जनता का जरा भी ध्यान नहीं रखा। यहां के मूल निवासियों को ही यहां के फायदों दूर रखा गया। उन्हें मछली पकड़ने तक नहीं दिया जाता जो उनकी रोजी-रोटी है। जो नया रोड नेटवर्क तैयार किया गया है, वह यहां के स्थानीय नाव निर्माण उद्योग को पूरी तरह से तबाह करके रख देगा। पुराना ग्वादर बिल्कुल किसी कचरे की पेटी की तरह बना दिया गया है मगर किसी को भी इसकी जरा भी चिंता नहीं है।
ग्वादर में जहां बंदरगाह का निर्माण हो रहा है, वहां पर चीनी कहीं नजर ही नहीं आते हैं। स्थानीय लोग मजाक में चीनियों को यजुज-मजूज कहते हैं। ग्वादर जो बहुत ही खूबसूरत है और समुद्र तटों से घिरा हुआ है, वहां घूमने की जगह ये लोग अंदर ही रहते हैं। यह जगह दूर से किसी जेल सी नजर आती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि एक बार प्रोजेक्ट खत्म हो जाने के बाद ये लोग अपने घर वापस लौटने और आजादी का स्वाद चखने के लिए उत्सुक होंगे। ग्वादर टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट जो बहुत ही खूबसूरत बना हुआ है, उसे भी साल 2021 में चीन ने तैयार करके यहां के लोगों को सौंप दिया था। यहां पर लेक्चर हॉल से लेकर क्लास रूम सबकुछ वर्ल्ड क्लास नजर आता है। कैंपस काफी बड़ा है मगर कोई टीचर या फिर कर्मचारी नहीं हैं। हां एक चौकीदार हमेशा नजर आता है। कोई नहीं जानता है कि इतने महंगे इंस्टीट्यूट का आगे क्या होगा।
बड़ी कीमत अदा करेगा पाकिस्तान