महेश भट्ट अरबाज खान के शो The Invincibles के लेटेस्ट एपिसोड में नजर आए और उन्होंने अपने बचपन से लेकर अपने करियर जैसे सभी मुद्दों पर ढेर सारी इंटरेस्टिंग बातें कीं। महेश भट्ट ने बताया कि उन्होंने कैसे ज़ीरो से शुरुआत की और यहां तक पहुंचे। महेश भट्ट ने अरबाज के इस टॉक शो में अपना शुरुआती किस्सा सुनाते हुए कहा- ये वही महबूब स्टूडियो है, जहां मैं आज यहां इस एपिसोड की शूटिंग कर रहा हूं, मेरी मां ने कहा था कि बेटे पैसे लेकर आना नहीं तो घर वापस नहीं आना। इसी बातचीत में उनका वो दर्द भी छलका जब उन्हें नाजायज औलाद कहकर ताना दिए जाते थे।
महेश भट्ट की पहली कमाई, मां ने ब्लाउज में रख ली थी
Mahesh Bhatt ने बताया कि उनकी पहली इनकम करीब 53 रुपये थी। तब करीब 15-16 साल की उम्र के रहे थे महेश भट्ट। Mahesh Bhatt ने कहा, ‘मुझे याद है कि मैंने वो पैसे लेकर गर्व से अपनी मां को दिए थे, उन्होंने उन पैसों को देखा और उसे अपनी ब्लाउज में रख लिया। उन्होंने कहा, इसको मैं अपने कलेजे के पास रखूंगी, शायद आज जैसी नींद आएगी पहले कभी न आई हो। मुझे याद है वो कम्फर्ट जो मैंने उस दिन मां को दिया था।’ उन्होंने कहा कि उनपर उस वक्त पैसे कमाने का दबाव था और उन्हें नजायज औलाद का तमगा भी दे दिया गया था।
मां मुस्लिम होते हुए भी हिन्दू बनकर रही हैं, पहचान छिपाया
महेश भट्ट के पिता हिन्दू थे जबकि मां एक मुसलमान थीं और महेश भट्ट का जब जन्म हुआ तो उनकी शादी नहीं हुई थी। उन्होंने इस बातचीत में लाइफ के इस सबसे कड़वे सच पर भी खुलकर बातें की और बताया कि कैसे उनकी मां मुस्लिम होते हुए भी हिन्दू बनकर रही हैं और उन्हें पहचान को छिपाना पड़ता था।
नाजायज औलाद कहकर कई बार कोसा जाता था उन्हें
बिना शादी के बच्चे के जन्म को लेकर उन्हें नाजायज औलाद कहकर कई बार कोसा जाता था। महेश ने अपने उस बुरे दौर को याद करते हुए कहा, ‘मैं 1948 में पैदा हुआ था और तब तब भारत आजाद हो चुका था। मेरी मां एक शिया मुसलमान थीं और उन दिनों में हम शिवाजी पार्क में रहते थे, जहां आसपास अधिकतर लोग हिन्दू थे। ऐसे में मां को अपनी असली पहचान छिपानी पड़ती थी। मां साड़ी भी पहनती थीं और टीका लगाया करती थीं। मेरे पापा फिल्ममेकर थे और उन्हें मेरी मां से प्यार हो गया था। दोनों अलग धर्म से होने के कारण हम एक नजायाज घर में रहते थे।’
महेश भट्ट ने कहा- जो बचा-खुचा होता था वो हमारे पास आया करता था
इस शो में महेश भट्ट का पुराना जख्म एक बार फिर से ताजा होता दिखा। उन्होंने उन दिनों की कहानी याद की और बताया कि उनके घर पर ‘नाजायज घर’ की मुहर लगा दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘जो बचा-खुचा होता था वो हमारे पास आया करता था। ये थी उनकी कहानी, लेकिन वे प्यार करते थे इसलिए…।’
बड़े-बुजुर्ग मुझे कोने में खड़े करके पूछते- तुम्हारे पिता कहां हैं?
महेश भट्ट ने अपने पिता के बारे में कहा, ‘वो जब भी घर आते थे कभी अपने जूते नहीं उतारा करते थे। जब वो घर आते थे मुझे लगता था कि कोई बाहर का आदमी घर में आया है। कई ऐसे बड़े- कुछ बुरे बुजुर्ग लोग थे जो मुझे कोने में खड़े करते मुझसे सवाल किया करते थे कि तुम्हारे पिता कहां हैं? मेरी बहन झूठ बोला करती थी कि वो इधर गए हैं, उधर गए हैं। और फिर मैंने एक दिन बोल दिया कि मेरे पापा हमारे साथ नहीं रहते वो अपनी वाइफ के साथ रहते हैं। उसके बाद उन्हें बात समझ आ गई और उन्होंने मुझे परेशान करना बंद कर दिया और फिर मैंने ये महसूस किया कि आज अगर कुछ छिपाने की कोशिश करते हो तो लोग इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।’
लंबे समय तक अपने पिता से उन्हें शिकायत रही
Arbaaz Khan ने पूछा कि उस वक्त जो सिचुएशन था उसके साथ आप ओके थे? महेश भट्ट ने कहा, ‘मैं अपनी मां का बेटा हूं बस इतना ही।’ उन्होंने बताया कि लंबे समय तक अपने पिता से उन्हें शिकायत रही। उन्होंने कहा- मैं उन्हीं का खून हूं, जो मेरी नसों में बह रहा है मैं उसे निकाल नहीं सकता।
‘जब मां गुजर गईं तब उन्होंने मेरी मां की मांग में सिंदूर लगाया’
महेश भट्ट ने कहा था, ‘मेरी मां की मौत जब 1998 में हुई थी मुझे याद है कि उन्होंने कहा था कि मेरी आखिरी ख्वाहिश है कि मुझे दफनाना। मुझे याद है कि जब वह गुजरी थीं तो मेरे पापा अपनी वाइफ (वो एक अमेजिंग महिला थीं) के साथ आए थे, उस वक्त उन्होंने मां की मांग में सिंदूर लगाया था। ये देखकर मैं रो पड़ा था। क्योंकि वो हमेशा चाहती थीं कि उनके साथ पब्लिकली फोटो आए। खैर, मैंने उनसे कहा कि मां चाहती थीं कि उन्हें दफनाया जाए, ये सुनकर मेरे पिता का चेहरा सफेद पड़ गया। उन्होंने कहा- मुझे माफ कर दे बेटा, मेरा धर्म इस बात की इजाजत नहीं देता कि मैं वहां जाऊं। इस बात ने मेरा दिल पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। मैं गुस्से में था तब, मैंने कहा- मैं तो बेटा हूं मुझे जाना पड़ेगा। फिर मैंने महसूस किया कि वो अपनी परवरिश के गुलाम हैं।’