नई दिल्ली: दुनिया के जानेमाने प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और उद्यम पूंजी कंपनियां सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को अच्छी तरह से जानती हैं। एसवीबी के दिवालिया होने के बाद इसके नियामक ने बैंक की संपत्ति को जब्त कर उसे बंद कर दिया है। करीब एक दशक पहले वाशिंगटन म्यूचुअल के ढहने के बाद ये किसी सबसे बड़े वित्तीय संस्थान का पतन है। इससे समझा जा सकता है कि यह कितनी बड़ी विफलता है।
बैंक में खाता रखने वाले कुछ स्टार्टअप को अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें डर है कि अगल वे अपने धन का इस्तेमाल नहीं कर सके, तो उन्हें अपनी परियोजनाओं को रोकना पड़ सकता है। बैंक विफल क्यों हुआ, कौन सबसे अधिक प्रभावित हुआ, और क्या यह घटना अमेरिका में व्यापक बैंकिंग प्रणाली को प्रभावित कर सकती है या नहीं? आइए इस सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
आम तौर पर यह कोई समस्या नहीं है, क्योंकि बैंक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं। लेकिन हालात तब बदल सकते हैं, जब उन्हें किसी आपात स्थिति में बेचना पड़े। एसवीबी के ग्राहक बड़े पैमाने पर स्टार्टअप और अन्य तकनीक-केंद्रित कंपनियां थीं, जो पिछले एक साल में नकदी के लिए जूझ रही थीं। उद्यम पूंजी वित्त पोषण सूख रहा था। कंपनियां लाभहीन व्यवसायों के लिए अतिरिक्त वित्त पोषण पाने में सक्षम नहीं थीं। इसलिए उन्हें अपने मौजूदा फंड का इस्तेमाल करना पड़ा, जो उन्होंने आमतौर पर सिलिकॉन वैली बैंक में जमा किया था।
बैंक नियामकों के पास सिलिकॉन वैली बैंक की संपत्ति को जब्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, ताकि बैंक में शेष संपत्ति और जमा की रक्षा की जा सके। क्या यह एक संकेत है कि हम 2008 जैसे संकट का दोबारा सामना कर सकते हैं फिलहाल, नहीं, और विशेषज्ञ मानते हैं कि व्यापक बैंकिंग क्षेत्र में इसके फैलने की आशंका फिलहाल नहीं है।