लंदन : बीबीसी की स्पोर्ट्स सर्विस शनिवार को एक मुसीबत में पड़ गई। तमाम प्रजेंटर्स ने पत्रकार गैरी लाइनकर के समर्थन में बीबीसी पर आने से इनकार कर दिया, जिन्हें सरकार की नई प्रवासन नीति (Migration Policy) की आलोचना करने के बाद निलंबित कर दिया गया था। 62 साल के गैरी ने ट्विटर पर पॉलिसी के लॉन्च में इस्तेमाल की गई भाषा की तुलना ‘नाजी जर्मनी’ से की थी। बीबीसी ने शुक्रवार को कहा कि ‘यह हमारे दिशानिर्देशों का उल्लंघन’ है। ब्रॉडकास्टर ने कहा कि लाइनकर ‘मैच ऑफ द डे’ शो होस्ट नहीं करेंगे, जब तक वह सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर स्पष्ट स्थिति पर सहमत नहीं हो जाते।
‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ पर छिड़ी बहस
राइट ने शनिवार को अपने पॉडकास्ट में कहा कि अगर लाइनकर को ‘सही’ के लिए बाहर निकाला गया तो वह बीबीसी छोड़ देंगे। बीबीसी के इस फैसले ने ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ पर बहस छेड़ दी है। बड़ी संख्या में राजनेता और हस्तियां विरोध में सामने आ गए हैं। कइयों ने बीबीसी पर कंजरवेटिव सांसदों की मांगों के आगे झुकने का आरोप लगाया है। इस बीच ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने कहा कि यह विवाद ब्रॉडकास्टर का मामला है, सरकार का नहीं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है, मौजूदा विवाद को समय पर हल कर लिया जाएगा।
‘हम चीन और उत्तर कोरिया से अलग नहीं’
टीवी होस्ट पियर्स मॉर्गन ने कहा, ‘यह बिल्कुल पागलपन है कि ब्रिटेन अब एक ऐसा देश बन गया है जहां एक राय रखने के लिए आपको अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है। अगर हम फ्री स्पीच की हिफाजत नहीं कर सकते, चाहें वे ऐसे विचार ही क्यों न हों जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से पसंद नहीं करते हैं, तो हम चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों से अलग नहीं हैं।’ लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारर ने बीबीसी पर कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों की मांगों के आगे ‘झुकने’ का आरोप लगाया है।