इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच अब राजनीतिक संकट देखे को मिल रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। अब पाकिस्तानी रेंजर्स मौके पर पहुंची है। लेकिन पाकिस्तान में मौजूद ये राजनीतिक अस्थिरता देश की कंगाली को और भी बढ़ाएगा। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजनयिक सूत्रों ने कहा कि लगातार अस्थिरता IMF के साथ समझौते में देरी का कारण बन गई है।
सूत्रों का कहना है कि IMF पाकिस्तान से आश्वासन मांग रहा है कि देश में भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था समझौतों का सम्मान करेगी। पाकिस्तान लंबे समय से इस डील के लिए बातचीत कर रहा है। पिछले सप्ताह वित्त सचिव हमीद याकूब शेख ने संवाददाताओं से कहा कि आने वाले कुछ दिनों में एक डील हो सकती है। पाकिस्तान के साथ डील के लिए आईएमएफ ने कई शर्तें सामने रखी थीं। इन शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान ने पहले ही टैक्स और ऊर्जा की कीमतों को बढ़ाया है।
IMF को आश्वासन की जरूरत
लेकिन इस डील में अभी भी दो मुद्दे अनसुलझे हैं। एक वित्तीय और दूसरा राजनीतिक आश्वासन। आईएमएफ चाहता है कि पाकिस्तान उन्हें यह दिखाए कि कर्जों को लौटाने के लिए उसके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान को चीन, सऊदी अरब और कई अन्य देशों ने मदद दी है। लेकिन आईएमएफ के मुताबिक ये पर्याप्त नहीं है। आईएमएफ को एक और आश्वासन की जरूरत है, जिसके मुताबिक इस डील पर हस्ताक्षर करने वाली सरकार इसे लागू करे। लेकिन हाल ही में होने वाले चुनावों ने आईएमएफ को दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया है।
इमरान के कारण नहीं हो रही डील
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा अगले कुछ महीने में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में आईएमएफ इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या इस डील को करना चाहिए या नहीं। सूत्रों ने कहा कि यही कारण है कि आईएमएफ को विपक्ष की भी सहमति चाहिए होगी। आईएमएफ को खास तौर पर इमरान खान की पार्टी पीटीआई से इस डील का सम्मान करने का विश्वास चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह सरकार के विरोध वाले हर काम कर रहे होते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार डील में देरी के लिए इमरान को जिम्मेदार बताती रही है।