लॉरेंस बिश्नोई की उम्र इस समय 30 साल है। वह नौ साल से जेल में बंद है। इस हिसाब से देखें तो 21 साल की उम्र में वह अपराध की गलियों में घुस चुका था। आखिर 20-21 साल के लड़के की जिंदगी में ऐसा क्या हो गया कि वह लॉरेंस बिश्नोई बन गया? किसी शातिर गैंगस्टर की तरह वह खुद को बेकसूर बताता है।
जेल में नौ साल से बंद लॉरेंस बिश्नोई को शिकायत है कि उसे और उसके गैंग को खलनायक बना दिया गया है। वह कहता है, ‘हमें समाज के अंदर बहुत नेगेटिव शो कर दिया गया है। हमें लोग आतंकवादी कहने लग गए। हमारी अलग छवि पेश कर दी। इंसान कभी खुद डिसाइड नहीं कर सकता है कि उसने पैदा कहां होना है। किस कल्चर में होना है। जैसे उसको शुरू से माहौल मिलता है, या उसको सिखाया जाता है, आपकी यह रिलिजन है, आप यहां पैदा हुए हैं, यह देश है… आपके सराउंडिंग जैसी होती है, आप जहां पढ़ते हुए होते हैं, विचार ऐसे डिवेलप हो जाते हैं… हमने कोई अपराध कर दिया होगा, 9 साल से जेल काट रहे हैं।’
वह खुद को हालात का मारा बताता है। उसकी यह बात आपके अंदर कुछ सहानुभूति पैदा कर सकती है। क्या वाकई 21 साल में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा यह युवक इतना सीधा है? मगर ऐसा नहीं है। अपनी छवि सुधारने के लिए गैंगस्टर इस तरह की तिकड़म लड़ाते रहते हैं। यह नया नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह उनकी सियासी महत्वकांक्षा हो सकती है। जेल में बंद रहते हुए नौ सालों में विश्नोई और खूंखार हुआ है। बेहद शातिर तरीके से अपना गैंग चलाया है। गैंगवारों कों अंजाम दिया है। करोड़ों की फिरौतियां वूसल की हैं।
वह खुद बड़ी मासूमियत से इसे स्वीकार करता है। उससे जब पूछा जाता है कि आखिर सिद्धू मूसेवाला की हत्या की प्लानिंग का पैसा कैसे जुटाया, तो वह शरीफ बच्चे की तरह अर्थशास्त्र समझाता है। वह कहता है- शराब-वराब के ठेकों से जुटाए जी। फिरौतियां भी ली जी। जो लोग गुजरात-बिहार में शराब ब्लैक करते हैं, उनसे पैसे निकलवाए।