देवास जिले में स्थित कंजरों के डेरे इन दिनों चर्चा में हैं, क्याेंकि यहां कहीं पर गड्ढों से किलो से चांदी निकल रही तो कुएं चांदी के आभूषण उगल रहे हैं। गुजरात पुलिस पिछले 15 दिनों से यहां डेरा डाले हुए हैं। दरअसल, देवास जिले के कंजर गिरोह ने पिछले महीने नकली पुलिसवाले बनकर गुजरात में ट्रक से 1696 किलो चांदी लूट ली थी। बदमाशों को पकड़ने के लिए गुजरात पुलिस देवास की खाक छान रही है। मामले की पड़ताल करने भास्कर भी इन डेराें तक पहुंचा।
शुक्रवार दोपहर के 2.20 बज रहे थे। हम देवास से 14 किमी दूर टोंककलां गांव पहुंचे। हाईवे से बाईं तरफ ही चिड़ावद में कंजरों का सबसे बड़ा डेरा है। यहां तक पुलिस, स्थानीय लोगों के अलावा दूसरे किसी का जाना मुमकिन नहीं है। क्योंकि ये कुख्यात कंजर गैंग उर्फ राममूर्ति गैंग का डेरा है। लूट में इस गिरोह की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। जब हम चिड़ावद पहुंचे तो डेरे में सन्नाटा पसरा था। कंजरों के आलीशान घरों पर ताले लगे हुए थे। मुख्य आरोपी घटना के बाद से ही फरार हैं।
इक्का-दुक्का महिलाएं घरों के बाहर बैठी थीं। इसी गांव पास टाेंककलां में कुएं से पुलिस ने लूट की 40 किलो चांदी बरामद की है। पुलिस सर्चिंग के चलते फिलहाल कुछ दिनाें से वारदातें नहीं हाे रही हैं। यहां से हम धतूरिया रोड और चौबाराधीरा पहुंचे। यह कंजरों का वहीं गांव है, जहां एक घर में गड्ढों में छिपाकर रखी गई 82 किलो चांदी बरामद हुई। इन गांवों के लोगों से पूछा तो बाेले-पुलिस वालों का यहां लगातार आना-जाना हो रहा है, लेकिन फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि यह सब देखने की आदत पड़ गई है।
सीमा पार के लोगों से भी है सेटिंग
कंजर गैंग के सदस्य अधिकांश वारदातें दूसरे राज्याें में करते हैं। लूट का माल सेटिंग से ठिकाने लगा देते हैं। लूटा हुआ माल लेकर डेराें पर नहीं आते हैं। कंजरों की सेटिंग नेपाल, बांग्लादेश, सीमावर्ती देशों के लोगों से भी है।
मुख्य धारा ऑपरेशन से कई लोगों को सुधारा
डेरों में 90 फीसदी लोग अपराधी नहीं हैं। 10 फीसदी जरूर है। हमने मुख्य धारा ऑपरेशन चलाकर तीन महीने में कंजर गिरोह के 170 से अधिक वारंटियों को गिरफ्तार किया। अच्छे लोगों में आत्मविश्वास जगाया है। अभी और भी काम कर रहे हैं। जहां तक गुजरात पुलिस के आने का सवाल है, वह अपना काम कर रही है।
-डॉ. शिवदयाल सिंह, एसपी, देवास