जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का एक और कारनामा सामने आया है। आरडीवीवी ने साल 2021-22 में कृषि विज्ञान का नया कोर्स प्रारंभ तो किया, लेकिन छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं की गई। साल भर छात्रों की पढ़ाई अतिथि शिक्षकों के भरोसे चलती रही। फर्स्ट ईयर का रिजल्ट आने पर पता चला कि 85% छात्र फेल हो गए हैं। इससे बीएससी ऑनर्स के छात्र नाराज हो गए। विश्वविद्यालय प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। हालांकि कुलसचिव ने आश्वासन दिया है कि छात्रों की समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। कुलसचिव ने परीक्षा नियंत्रक को जांच के निर्देश दिए हैं।
जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने कृषि विज्ञान संस्थान को आधी-अधूरी तैयारी के साथ खोल दिया। लिहाजा ना ही छात्रों को अच्छे टीचर मिले और ना ही प्रैक्टिकल लैब। इस कारण बीएससी आनर्स एग्रीकल्चर के फर्स्ट सेमेस्टर में 85 में से 70 छात्र फेल हो गए। छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने प्रति छात्र से एडमिशन के लिए 60 हजार रुपए लिए, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया। कृषि विज्ञान संस्थान के पास न ढंग की बिल्डिंग है और न ही लाइब्रेरी। ऐसे में जैसे-तैसे छात्रों ने कम संसाधनों में साल भर पढ़ाई की, पर जब रिजल्ट आया, तो वह निराशाजनक रहा।
200 स्टूडेंट्स पर तीन टीचर
बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर के छात्र रितिक ने बताया कि कृषि विज्ञान संस्थान 2021 में खुला था। तब से अभी तक दो सेमेस्टर के मिलाकर छात्रों की संख्या 200 से अधिक हो गई, पर टीचर महज तीन थे। छात्र का कहना है कि कई बार कुलपति और कुलसचिव से व्यवस्थाओं की मांग की गई, पर सिर्फ आश्वासन मिला। जैसे- तैसे 2021 प्रथम सेमेस्टर का रिजल्ट आया, तो 85% छात्रों को फेल कर दिया गया
एडमिशन फीस के लिए 60 हजार रुपए
2021 में शुरू हुए कृषि विज्ञान संस्थान में प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर में करीब 217 स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया है। यूनिवर्सिटी ने प्रति छात्र से 60 हजार रुपए प्रवेश परीक्षा ली। इसके बाद परीक्षा फीस के नाम पर भी हर छात्र ने 2500 रुपए यूनिवर्सिटी को दिए। रिजल्ट खराब आया, तो छात्रों ने हंगामा करते हुए यूनिवर्सिटी पर भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।
200 से अधिक छात्रों पर मात्र केवल 4 अतिथि विद्वान नियुक्त किए हैं। विभाग में स्थाई प्रोफेसर नहीं है, जबकि यहां करीब 10 से अधिक शिक्षकों की आवश्यकता है। कोर्स प्रारंभ हुए डेढ़ साल से अधिक का समय हो चुका है, पर न ही आधुनिक प्रयोगशाला बनाई गई और न लाइब्रेरी बनाई गई। पिछले डेढ़ साल से प्रैक्टिकल नहीं कराया गया। केवल थ्योरी ही पढ़ाई जा रही है।
मान्यता को लेकर उठ रहे सवाल
विश्वविद्यालय में संचालित बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर के कोर्स की मान्यता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कृषि विज्ञान कोर्स आईसीएआर व यूजीसी के अनुमति के बिना संचालित किया जा रहा है। इसे लेकर विद्यार्थी भी असमंजस में हैं। छात्रों ने बताया कि मेधावी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की राशि दिसंबर 2022 में विश्वविद्यालय के खाते में आ गई थी, लेकिन अभी तक कृषि के विद्यार्थियों को राशि नहीं दी गई है। ऐसे में अब पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में फॉर्म डालने पर विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इसे अनदेखी कर रहा है।
कुलसचिव दीपेश मिश्रा ने भी माना कि छात्रों के लिए व्यवस्थाएं अधूरी हैं। कुलसचिव का कहना है कि शिक्षकों की व्यवस्था करवाई जा रही है। इसके अलावा, जिन छात्रों का रिजल्ट खराब आया है, उसकी जांच के लिए परीक्षा कंट्रोलर को निर्देश दिए गए हैं।