जेनेवा: स्विटजरलैंड के संकटग्रस्त बैंक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) को तारनहार मिल गया है। इस बैंक के संकट में आने से ग्लोबल बैंकिंग प्रणाली में उथल-पुथल आ गई थी। इसे रोकने के उद्देश्य से स्विटजरलैंड की ही एक प्रमुख वित्तीय कंपनी यूबीएस (UBS) क्रेडिट सुइस को लगभग 3.25 अरब डॉलर में खरीदेगी। क्रेडिट सुइस ने बीते गुरुवार को ही कहा था कि वह अपने शेयरों के गिरने के बाद स्विस सेंट्रल बैंक (केंद्रीय बैंक) से 54 अरब डॉलर तक का कर्ज लेगा। हालांकि इससे भी बैंक के ग्राहक और निवेशक आश्वस्त नहीं हुए। इसके बाद स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने यूबीएस से संकटग्रस्त बैंक का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया था।
वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के लिए
स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति अलेन बरसेत ने कहा कि यह सौदा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘क्रेडिट सुइस का अनियंत्रित तरीके से पतन देश और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर देता।’’ देश की कार्यकारी शाखा, सात सदस्यीय शासी निकाय ने एक आपात अध्यादेश जारी किया है, जिसमें शेयरधारकों की मंजूरी के बगैर बैंक के विलय को मंजूरी दी गई है। क्रेडिट सुइस के चेयरमैन एक्सऐल लेहमन ने इस सौदे को एक बड़ा बदलाव लाने वाला बताया।
अपार संभावनाओं को जन्म देगा अधिग्रहण
यूबीएस के चेयरमैन कोम केलेहर ने कहा कि यह अधिग्रहण अपार संभावनाओं को जन्म देगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले क्रेडिट सुइस ने कहा था कि वह अपनी लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए स्विस केंद्रीय बैंक से 54 अरब डॉलर उधार लेगा। क्रेडिट सुइस के शेयर में भारी गिरावट के बाद निवेशकों में वैश्विक बैंकिंग संकट को लेकर आशंका गहरा गई थी।
भारत पर इसका क्या होगा असर?
जेफरीज के इक्विटी एनालिस्ट्स ने गुरुवार को ही बताया था कि क्रेडिट सुइस संकट का भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर कम प्रभाव पड़ने का अनुमान है। उनका कहना था कि भारत में इस स्विस लेंडर की अपेक्षाकृत कम उपस्थिति है। जेफरीज के अनुमान में बताया गया है कि क्रेडिट सुइस की भारत में विदेशी बैंकों की कुल परिसंपित्तयों में 1.5 प्रतिशत और कुल बैंकिंग परिसंपत्तियों में महज 0.1 प्रतिशत भागीदारी है। गौरतलब है कि भारत में क्रेडिट सुइस की सिर्फ एक ब्रांच है। इस ब्रांच का कुल एसेट 200 अरब रुपये है।